भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान देना जरूरी : रघुराम राजन

रघुराम राजन ने ये टिप्पणी कोलकाता साहित्य सम्मेलन में 'ब्रेकिंग द मोल्ड: रीइमेजिनिंग इंडियाज इकोनॉमिक फ्यूचर' किताब के विमोचन के मौके पर कही. यह किताब उन्होंने अर्थशास्त्री रोहित लांबा के साथ मिलकर लिखी है.

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राजन ने कहा कि भारत को जो जनसांख्यिकीय लाभांश मिल रहा है, वह 2050 के बाद कम हो जाएगा.
कोलकाता:

प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने शुक्रवार को कहा कि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले 25 वर्षों में छह प्रतिशत की औसत वृद्धि दर बनाए रखी है, जो किसी भी देश के लिए आसान उपलब्धि नहीं है. राजन ने एक मजबूत नींव बनाने के लिए शासन सुधारों के साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया.

राजन ने ये टिप्पणी कोलकाता साहित्य सम्मेलन में 'ब्रेकिंग द मोल्ड: रीइमेजिनिंग इंडियाज इकोनॉमिक फ्यूचर' किताब के विमोचन के मौके पर कही. यह किताब उन्होंने अर्थशास्त्री रोहित लांबा के साथ मिलकर लिखी है. उन्होंने कहा कि यदि भारत 2047 तक एक विकसित देश बनना चाहता है, तो उसे सात प्रतिशत से अधिक की वार्षिक वृद्धि दर हासिल करनी होगी.

उन्होंने कहा, ''सात प्रतिशत की वृद्धि दर पर, भारत की प्रति व्यक्ति आय मौजूदा 2,400 डॉलर से बढ़कर 2047 में 10,000 डॉलर हो जाएगी, जिससे देश निम्न मध्यम-आय वर्ग में आ जाएगा.''

राजन ने कहा कि भारत को इस समय जो जनसांख्यिकीय लाभांश मिल रहा है, वह 2050 के बाद कम हो जाएगा. इसलिए भविष्य की दिशा अभी से निर्धारित करने की जरूरत है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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