दाऊद का राइट हैंड टाइगर मेमन क्यों है फिर चर्चा में, 32 साल बाद टाडा कोर्ट का क्या है नया आदेश?

टाइगर मेमन मुंबई का ही रहने वाला था.1980 के दशक में उसने छोटे-मोटे धंधों से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन जल्द ही उसने अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कदम रख दिया. टाइगर ने दाऊद इब्राहिम के साथ मिलकर तस्करी का बड़ा नेटवर्क खड़ा किया. उसका मुख्य धंधा सोने, चांदी और इलेक्ट्रॉनिक सामानों की तस्करी था, जिसके जरिए उसने करोड़ों रुपये कमाए.

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मुंबई:

छोटे-मोटे धंधों से करोड़ों की संपत्तियों का मालिक बनने वाला मुंबई में अपराध की दुनिया का बादशाह टाइगर मेमन एक बार फिर चर्चा में है. 1993 के मुंबई बम धमाकों के मास्टरमाइंड पर एक बार फिर कोर्ट ने सख्ती की है. स्पेशल टाडा कोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 1993 के मुंबई बम धमाकों के मास्टरमाइंड टाइगर मेमन, उनके भाई याकूब मेमन और मेमन परिवार से जुड़ी 14 अचल संपत्तियों को केंद्र सरकार को सौंपने का आदेश दिया है. इन संपत्तियों में फ्लैट्स, दुकानें, ऑफिस और खाली प्लॉट्स शामिल हैं, जो मुंबई के पॉश इलाकों जैसे अलमेड़ा पार्क (बांद्रा वेस्ट),सांताक्रूज, कुर्ला और माहिम में स्थित हैं. 

1993 बम धमाकों का मास्टरमाइंड था: टाइगर मेमन
टाइगर मेमन, जिसका असली नाम इब्राहिम अब्दुल रजाक मेमन है, 1993 के मुंबई बम धमाकों का मुख्य साजिशकर्ता था. 12 मार्च 1993 को मुंबई में हुए इन धमाकों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था. 12 बम धमाकों में 257 लोगों की जान चली गई और 700 से ज्यादा लोग घायल हो गए. यह हमला भारत के इतिहास में सबसे बड़े आतंकी हमलों में से एक था. टाइगर मेमन ने इस हमले की साजिश अपने भाई याकूब मेमन और अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथ मिलकर रची थी. जांच में पता चला कि यह हमला 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुए दंगों का बदला लेने के लिए किया गया था.

टाइगर मेमन ने कैसे खड़ा किया अपराध का साम्राज्य?
टाइगर मेमन का जन्म मुंबई में हुआ था. 1980 के दशक में उसने छोटे-मोटे धंधों से अपने करियर की शुरुआत की, लेकिन जल्द ही वह अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कदम रख दिया. टाइगर ने दाऊद इब्राहिम के साथ मिलकर तस्करी का बड़ा नेटवर्क खड़ा किया. उसका मुख्य धंधा सोने, चांदी और इलेक्ट्रॉनिक सामानों की तस्करी था, जिसके जरिए उसने करोड़ों रुपये कमाए. टाइगर ने अपनी कमाई को रियल एस्टेट में निवेश किया और मुंबई के पॉश इलाकों में कई संपत्तियां खरीदीं. अलमेड़ा पार्क, सांताक्रूज, माहिम और कुर्ला जैसे इलाकों में उसने फ्लैट्स, दुकानें और ऑफिस खरीदे, जो बाद में उसके परिवार के नाम पर रजिस्टर कर दिए गए.

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टाइगर मेमन ने अपने भाइयों और रिश्तेदारों को भी इस धंधे में शामिल कर लिया. उसका भाई याकूब मेमन, जो एक चार्टर्ड अकाउंटेंट था, टाइगर के कारोबार को संभालने में अहम भूमिका निभाता था. याकूब ने टाइगर की काली कमाई को वैध दिखाने के लिए कई फर्जी कंपनियां बनाईं और संपत्तियों में निवेश किया.

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मेमन परिवार ने मुंबई में एक बड़ा रियल एस्टेट साम्राज्य खड़ा कर लिया था, जिसमें करोड़ों की संपत्तियां शामिल थीं. लेकिन 1993 के बम धमाकों के बाद टाइगर और उसका परिवार फरार हो गया. टाइगर माना जाता है कि दुबई और फिर पाकिस्तान भाग गया, जहां वह आज भी छिपा हुआ है.

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टाडा कोर्ट ने संपत्तियों पर कब्जा का दिया आदेश
विशेष ताडा कोर्ट के जज वीडी केदार ने 26 मार्च को यह फैसला सुनाया कि मेमन परिवार की 14 संपत्तियां केंद्र सरकार को सौंपी जाएंगी. इन संपत्तियों को 1994 में ही बॉम्बे हाई कोर्ट के रिसीवर ने अपने कब्जे में ले लिया था. कोर्ट ने कहा कि इन संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया 1992 में महाराष्ट्र सरकार के एक आदेश के आधार पर शुरू की गई थी. 1993 में स्मगलर्स एंड फॉरेन एक्सचेंज मैनिपुलेटर्स एक्ट के तहत केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपील की थी कि मेमन परिवार की संपत्तियों को जब्त किया जाए, क्योंकि ये संपत्तियां तस्करी और अवैध गतिविधियों से अर्जित की गई थीं.

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इन संपत्तियों में अलमेड़ा पार्क (बांद्रा वेस्ट) में एक फ्लैट, सांताक्रूज में एक खाली प्लॉट और फ्लैट, कुर्ला में ऑफिस, माहिम में दुकानें और गैरेज शामिल हैं. संपत्तियों के मालिकों में टाइगर मेमन, याकूब मेमन, अब्दुल रजाक मेमन, एसा मेमन, यूसुफ मेमन और रुबीना मेमन जैसे परिवार के सदस्यों के नाम हैं. कोर्ट ने कहा कि इन संपत्तियों को बेचकर या किसी अन्य कानूनी तरीके से इस्तेमाल करके उसकी कीमत और खर्चे की वसूली की जाएगी.

केंद्र ने संपत्ति जब्त करने के लिए कोर्ट से की थी अपील
केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में सफेमा अथॉरिटी के जरिए कोर्ट में अपील की थी कि मेमन परिवार की संपत्तियों को जब्त किया जाए. सफेमा के तहत यह प्रावधान है कि तस्करों और ड्रग माफियाओं की अवैध संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है. कोर्ट ने माना कि मेमन परिवार की ये संपत्तियां तस्करी और अपराध से अर्जित की गई थीं, इसलिए इन्हें केंद्र सरकार को सौंपा जाना चाहिए.

मेमन परिवार है चुप
टाडा कोर्ट ने मेमन परिवार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था, लेकिन टाइगर मेमन और उनके परिजनों ने कोई जवाब नहीं दिया. टाइगर मेमन फरार है, जबकि उसके भाई याकूब मेमन को 2015 में फांसी दी जा चुकी है. परिवार के अन्य सदस्य, जैसे अब्दुल रजाक मेमन और हनीफा मेमन, भी इस मामले में चुप हैं. कोर्ट ने कहा कि परिवार की ओर से जवाब न मिलने के कारण इन संपत्तियों को जब्त करने का फैसला अंतिम है.

क्या होगा इन संपत्तियों का?
इन संपत्तियों को अब बॉम्बे हाई कोर्ट के रिसीवर से केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा. सरकार इन संपत्तियों को बेचकर या अन्य तरीकों से इस्तेमाल कर सकती है. हालांकि, कई संपत्तियां पहले से ही खराब हालत में हैं. माहिम में मेमन परिवार की एक इमारत को पिछले महीने अवैध रूप से तोड़ दिया गया था, जिसके बाद कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया.

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