ये वेकअप कॉल है सर... कोचिंग सेंटर में 3 छात्रों की मौत पर मनोज झा की संसद में इमोशनल स्पीच

Manoj Jha's emotional speech in Parliament : मनोज झा ने राज्यसभा में आज बहुत अच्छा भाषण दिया. लंबे समय बाद बगैर शोर-शराबे, बगैर आरोप-प्रत्यारोप किसी मुद्दे पर विपक्ष की ओर से ऐसी स्पीच सुनने को मिली है. जानें क्या कहा मनोज झा ने...

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मनोज झा ने आज राजनीति में कोचिंग सेंटरों के दखल को लेकर संसद में बड़ी बात कह दी.

दिल्ली के कोचिंग सेंटर (Delhi Coaching Centre Case) में तीन छात्रों की मौत का मामला संसद तक पहुंच गया है. लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता और प्रवक्ता व राज्यसभा सदस्य प्रोफेसर मनोज झा (Manoj Jha) ने इस पर एक इमोशनल स्पीच दी. मनोज झा के भाषण के समय चेयर पर उपसभापति हरिवंश बैठे थे. यह मनोज झा की स्पीच का ही असर था कि वे भी लगातार उनकी स्पीच को बड़े ध्यान से सुनते रहे. राज्यसभा में एकदम शांति थी. हर सदस्य मनोज झा को सुनता ही जा रहा था. इसका कारण ये था कि आज मनोज झा ने बगैर राजनीति पर बात किए, इस मुद्दे की गंभीरता से सदन को अवगत कराया. 

कोचिंग सेंटर और राजनीति का घालमेल

मनोज झा ने स्पीच की शुरूआत ही इस बात से की, "महोदय, मैं अपने साथियों से यही कहूंगा कि यह विषय मेज थपथपाने का नहीं है. न इधर, न उधर. मौत हुई है सर, हत्या भी कह सकते हैं..कोविड के दौरान मैंने कहा था..हत्याओं को मौत न कहा जाए..आंकड़े अपनी जगह..सर, कोचिंग इंस्टीट्यूट बहुत पावरफुल हो गए हैं. अब तो ये कहते हैं कि हम देश का कोई भी एग्जाम क्लियर करा सकते हैं. सर इनकी भूमिका मंत्री चयन में, सांसदों को चुनने में भी हो गई है. ये जो पॉलिटिकल इकोनॉमी ऑफ कोचिंग इंस्टीट्यूट है...ये जड़ में है और ये आपकी अर्बन प्लानिंग और अर्बन डेवलपमेंट को प्रभावित कर रहा है और इसलिए फल-फूल रहा है. कोचिंग सेंटर में मौत हुई है और हम आज चर्चा कर रहे हैं."

भाजपा बनाम आप पर ये बोले

प्रोफेसर मनोज झा ने आगे कहा, "हम लोग हादसों के देश में तब्दील हो गए हैं. एक बाबा भीड़ लगाता है, हादसे में लोग मर जाते हैं. हम श्रद्धांजलि देते हैं और आगे बढ़ जाते हैं. अपराध की घटना में महीनों की फेहरिस्त देख लीजिए..हादसे होते हैं, फिर आगे बढ़ जाते हैं. रेल हादसा होता है. एक दिन चर्चा होती है, फिर आगे बढ़ जाते हैं. सीवर में लोग उतरते हैं. मर जाते हैं. हादसा होता है तो उसकी तो चर्चा नहीं होती. सीवर में उतरने वाले की जाति तय करती है. मेरी दूसरी गुजारिश होगी सर, इसे भाजपा बनाम आप बनने का मुझे डर था और मेरा डर गलत नहीं था. सर, मौत भी हमलोगों को बांट देती है. हम उन बच्चों को क्या बताएंगे? मेरा सिर्फ ये कहना है कि वो बच्चे आज भाजपा बनाम आप का डिबेट नहीं देखना चाहते. वो जानना चाहते हैं कि पॉलिटिकल इकोनॉमी ऑफ कोचिंग इंस्टीट्यूट और उनके स्ट्रक्चर पर हमारा क्या विचार है?" 

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"हम न सुनने वाले देश में तब्दील"

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राजद नेता ने कहा, "ये वेकअप कॉल है सर..वेकअप अलार्म... कहीं की सरकार हो, ये उसके लिए है, लेकिन क्या होता है न सर कि जब नींद अच्छी आ रही होती है तो सुबह अलार्म बजता है. हम उठते हैं और अलार्म दबा कर बंद कर देते हैं. नहीं सुनना चाहते हैं अलार्म. हम न सुनने वाले देश में तब्दील हो रहे हैं. हादसे होते रहते हैं, हादसा पर हादसा, हादसा पर हादसा. एक दिन श्रद्धांजलि दे देते हैं. सीमा पर हादसा होता है. तिंरगे में लिपटा शव आता है. सैल्यूट करते हैं, श्रद्धांजलि देते हैं. सपने लोगों में बड़े पैमाने पर बांटे जाते हैं पर साधन नहीं बंटते हैं. जब सपने और साधन के बीच में गैप होता है तो इस तरह के हादसे होते हैं. मैं सिर्फ इतना आग्रह करूंगा कि सदन की यह चर्चा एक अंजाम तक जाए. इसे आम आदमी पार्टी और भाजपा न बनाएं. मौत आंकड़ा नहीं है." 

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