कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एनडीटीवी से बातचीत करते हुए कहा कि ये बजट अपने आप में देश के साथ मज़ाक है. जो लोग इसे 2047 का बजट बताते हैं वो इस देश के किसान का, इस देश के गरीब का, इस देश के नौजवान का, इस देश के मजदूर का और इस देश के नौकरीपेशा व्यक्ति का क्रूर मज़ाक उड़ा रहे हैं. बजट एक साल के लिए एक्सरसाइज होता है, 25 साल के लिए नहीं. इस बजट में इन सारे वर्गों के लिए कुछ नहीं है. आज नौकरीपेशा और मध्यम वर्ग खुद को ठगा हुआ मेहसूस करते हैं. एक तरफ महंगाई की मार, दूसरी तरफ कोरोना की मार, तीसरा जाती हुई नौकरी और कम होती तनख्वाहों की मार.
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उन्होंने कहा कि ये बजट पूंजीवादी बजट है. पूंजीपतियों की सरकार द्वारा बनाया गया बजट है और यही सच्चाई है. प्रधानमंत्री जी और सरकार को सच्चाई का आईना देखना चाहिए. क्या प्रधानमंत्री जी नहीं जानते कि 4 करोड़ 40 लाख के करीब रोज़गार हमेशा के लिए चले गए हैं. 6.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा के निचे धकेल दिए गए हैं. क्या मोदी सरकार ये नहीं जानती कि 60 लाख से अधिक छोटे उद्योग धंधों पर तालाबंदी हो गई है. 54 प्रतिशत लोगों की आय कम हो गई है. वहीं 142 लोग ऐसे हैं जिनकी आय 23 लाख करोड़ से बढ़कर 56 लाख करोड़ हो गई है. पूरी भारतीय जनता पार्टी 150 लोगों के लिए चलाई जा रही है. 150 लोगों के द्वारा बनाई गई है, इन्हें किसान मज़दूर से कोई राबता नहीं है.
सुरजेवाला ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अहंकार से ग्रस्त है. उस अहंकार के मायने क्या हैं, ये भारतवासियों को समझना पड़ेगा. भाजपा का और मोदी सरकार का ये मानना है कि धर्म के आधार पर बंटवारा करो और इस देश में वो चुनाव जीत सकते हैं. चुनाव जीतने के लिए पेट्रोल डीजल की कीमत कम करने की जरूरत नहीं है. किसान को दोगुनी आय देने की जरूरत नहीं है. चुनाव जीतने के के लिए राहत देने की जरूरत नहीं है. केवल धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने की जरूरत है. राहत देने के बजाए जख़्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है.
उन्होंने कहा कि एक भी व्यक्ति अगर छोड़ कर जाता है तो दुख होता है. लेकिन राजनीति में कई बार विचार धारा व्यक्ति की बढ़ोतरी से बेहतर है. किसी व्यक्ति को लगता हो कि आज कांग्रेस सत्ता में नहीं है, उसे सत्ता में आना जरूरी है. कई बार व्यक्ति की आकांक्षा और बढ़ोतरी पार्टी की विचारधारा से बड़ी हो जाती है. लेकिन आखिर में सत्य, सिद्धांत औऱ विचारधारा की जीत होती है. कुछ को लगता है कि क्षणीत सत्ता विचारधारा से बड़ी है. या तो क्षणीत सत्ता ले लिजिए या फिर अपने बल बूते पर खड़े होकर पार्टी का तीरंगा झंडा पकड़कर विचारधारा की लड़ाई लड़िए. ये निर्णय हर व्यक्ति को खुद करना है. कांग्रेस 6 से 7 साल से सत्ता से बाहर है, पर 7 साल बाद देश अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहा है.
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कांग्रेस नेता ने कहा कि कई हमारे साथी जो कांग्रेस छोड़कर गए, आप देखिए भारतीय जनता पार्टी ने उनके साथ क्या किया. मेरे प्रांत के एक नेता को जबरन रिटायर कर दिया. बहुगुणा जी के परिवार के साथ उत्तराखंड में क्या व्यवहार किया गया. रीता जी के साथ यूपी में क्या व्यवहार किया जा रहा है, आप जानते हैं. नेतृत्व का ये मानना है, राहुल जी हों, सोनिया जी हों कि कोई साथी छोड़कर ना जाए. विचारधारा व्तक्तिगत दोस्ती से बढ़कर है. पार्टी मां के समान है. उसकी विचारधारा सर्वोपरे है. उसी के आधार पर हम अंग्रेजों से लड़े और उसी के आधार पर उनके पिठ्ठु से लड़ रहे हैं.
उन्होंने कहा कि बहुत जल्दी ही पार्टी पंजाब के सीएम के चेहरे के ऊपर अपना फैसला लेगी. कांग्रेस ने हमेशा दो तरफ का रवैया अपनाया है. जहां हम सत्ता में नहीं हैं, वहां हम अक्सर नाम घोषित नहीं करते. जहां हम सत्ता में हैं, वहां ज्यादातर नाम घोषित करते हैं. सिद्धू और चन्नी के बीच ना समनवय की कमी है और ना संवाद की. लक्ष्य एक ही है, पंजाब और पंजाबियत की रक्षा और इसे आगे बढ़ाना. उनका रास्ता अलग नज़र आए, लेकिन दोनों एक ही धुरी के साथी हैं. परिवार के मुखिया का फैसला आखिरी फैसला होगा और ये पाएंगे की ये प्रजातंत्र के लिए भा अच्छा है, कांग्रेस और पंजाब के लिए भी अच्छा है.
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