महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने की अनिवार्यता खत्म, लिया गया ये फैसला

क्लास 1 से 5 तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने की अनिवार्यता को वापस ले लिया गया है, लेकिन सामान्य रूप से हिंदी को तीसरे भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा.

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मुंबई:

महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी पढ़ाए जाने की अनिवार्यता को वापस ले लिया गया है. वहीं मराठी और अंग्रेजी के बाद इसे तीसरी भाषा के तौर पर पढ़ाया जाएगा. क्लास 1 से 5 तक तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है, लेकिन सामान्य रूप से हिंदी को तीसरे भाषा के रूप में पढ़ाया जाएगा. स्कूल शिक्षा विभाग का नया सरकारी निर्णय जारी किया गया है.

क्लास 1 से त्रिभाषा फॉर्मूला अपनाया जाएगा

क्लास 1 से त्रिभाषा फॉर्मूला अपनाया जाएगा, यदि क्लास में 20 से अधिक छात्र हिंदी के बजाय अन्य भाषा सीखना चाहते हैं, तो शिक्षक इसे उपलब्ध कराएंगे या क्लास सब्जेक्ट को ऑनलाइन पढ़ाया जाएगा. स्कूल शिक्षा 2024 के लिए राज्य पाठ्यक्रम योजना के अनुसार, मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के लिए हिंदी अब तीसरी भाषा होगी. हालांकि, यदि ये छात्र हिंदी के बजाय तीसरी भाषा के रूप में अन्य भारतीय भाषाओं में से किसी एक को सीखने की इच्छा दिखाते हैं, तो उन छात्रों को तीसरी भाषा के रूप में उस भाषा को सीखने की मंजूरी दी जाएगी.

महाराष्ट्र स्कूलों में हिंदी पढ़ाई संबंधी खबर के अहम प्वाइंट्स:

  • हिंदी को "अनिवार्य" से हटाया गया: कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाने की "अनिवार्य" खत्म
  • त्रिभाषा फॉर्मूला लागू: कक्षा 1 से मराठी, अंग्रेजी और हिंदी (या अन्य भारतीय भाषा) के तहत त्रिभाषा फॉर्मूला अपनाया जाएगा.
  • हिंदी तीसरी भाषा के रूप में: मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी तीसरी भाषा होगी.
  • वैकल्पिक भाषा का प्रावधान: यदि 20 या अधिक छात्र हिंदी के बजाय अन्य भारतीय भाषा सीखना चाहते हैं, तो उन्हें वह भाषा पढ़ने की अनुमति होगी.
  • शिक्षक या ऑनलाइन पढ़ाई: 20 या अधिक छात्रों द्वारा अन्य भाषा चुनने पर स्कूल उस भाषा के लिए शिक्षक उपलब्ध कराएगा, अन्यथा ऑनलाइन पढ़ाई होगी.
  • मराठी अनिवार्य: सभी माध्यम के स्कूलों में मराठी भाषा अनिवार्य रहेगी.
  • नया सरकारी निर्णय: स्कूल शिक्षा विभाग ने 2024 के राज्य पाठ्यक्रम योजना के तहत यह नया निर्णय जारी किया है.

सभी माध्यम के स्कूलों में मराठी अनिवार्य भाषा

हालांकि, उनके स्कूल में कक्षावार ऐसे छात्रों की संख्या कम से कम 20 होनी चाहिए जो तीसरी भाषा के रूप में हिंदी के बजाय अन्य भाषाएं सीखने की इच्छा दिखाते हैं. यदि ऊपर बताए अनुसार कम से कम 20 छात्र हिंदी के अलावा किसी अन्य तीसरी भाषा को सीखने में रुचि दिखाते हैं, तो उस भाषा को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक उपलब्ध कराया जाएगा, अन्यथा वह भाषा ऑनलाइन पढ़ाई जाएगी. सभी माध्यम के स्कूलों में मराठी अनिवार्य भाषा होगी.

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