घबराने की बात नहीं... ट्रंप के टैरिफ का प्रभाव गंभीर होने की संभावना नहीं: सरकारी सूत्र

सूत्रों ने कहा कि जहां तक निर्यातकों का सवाल है, घबराने की कोई बात नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि 'यह भारत और अमेरिका के बीच दीर्घकालिक संबंधों का एक अस्थायी चरण है.' 

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  • भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ मुद्दे को सुलझाने के लिए सभी संपर्क के रास्ते खुले हुए हैं और प्रयास जारी हैं.
  • अमेरिकी सरकार ने भारत से कुछ क्षेत्रों को छोड़कर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जिससे निर्यात प्रभावित हुआ है.
  • भारतीय निर्यात की विविधता को देखते हुए टैरिफ का प्रभाव गंभीर नहीं होगा और घबराने की जरूरत नहीं है.
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सरकारी सूत्रों के हवाले से न्‍यूज एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि भारत और अमेरिका के बीच संपर्क के सारे रास्‍ते खुले हैं. बुधवार को सुत्रों ने बताया है कि मौजूदा टैरिफ मुद्दे को सुलझाने के प्रयास जारी रहेंगे. अमेरिकी सरकार ने बुधवार से कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, अमेरिका को भारतीय निर्यात पर कुल 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है.

सूत्रों ने कहा, 'भारतीय निर्यात की विविध प्रकृति को देखते हुए (टैरिफ का) प्रभाव उतना गंभीर होने की संभावना नहीं है जितना कि आशंका जताई जा रही है.' उन्होंने आगे कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए भारत और अमेरिका के बीच संचार माध्यम खुले हैं. सूत्रों ने आगे कहा कि जहां तक निर्यातकों का सवाल है, घबराने की कोई बात नहीं है.  

अमेरिकी वित्त मंत्री का बयान 

सूत्रों के अनुसार यह दीर्घकालिक रिश्ते में एक अस्थायी चरण है.' इससे अलग अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने उम्मीद जताई है कि 'आखिरकार, हम एक साथ आ जाएंगे.' फॉक्स बिजनेस को दिए एक इंटरव्‍यू में बेसेंट ने कहा, 'यह एक बहुत ही जटिल रिश्ता है. राष्ट्रपति (डोनाल्ड) ट्रंप या प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी के बीच इस स्तर पर बहुत अच्छे संबंध हैं. और यह सिर्फ रूसी तेल के मुद्दे पर ही नहीं है.' उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. उनके शब्‍दों में, 'मुझे लगता है कि आखिरकार, हम एक साथ आ जाएंगे.'  

पीएम मोदी बोले, कोई समझौता नहीं 

उनकी यह टिप्पणी ट्रंप की ओर से भारत पर रूसी तेल की खरीद पर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत टैरिफ के लागू होने के कुछ घंटों बाद आई है. इससे नई दिल्ली पर लगाए गए शुल्कों की कुल राशि 50 प्रतिशत हो गई है. सोमवार को, प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि वह किसानों, पशुपालकों और लघु उद्योगों के हितों से समझौता नहीं कर सकते. उन्होंने आगाह किया कि 'हम पर दबाव बढ़ सकता है, लेकिन हम इसे सहन करेंगे.' बेसेन्ट ने कहा कि उन्हें लगा था कि भारत के साथ व्यापार समझौता वाशिंगटन द्वारा हस्ताक्षरित सबसे पहले समझौतों में से एक होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 
 

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