देखें रामलला की तीसरी मूर्ति, जो अयोध्या के राममंदिर में स्थापना के लिए बनाई गई थी...

NDTV के पास मूर्ति की तस्वीरें मौजूद हैं, जिसे कर्नाटक स्थित मैसूर के हेगदादेवेना कोटे इलाके में खेत में मिले काले पत्थर से काटकर तैयार किया गया है.

Advertisement
Read Time: 10 mins
रामलला की प्रतिमा जिस पत्थर से बनाई गई है, उसे कृष्ण शिला कहा जाता है, और गहरे काले रंग का है...
नई दिल्ली:

अयोध्या में बने भव्य राममंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने के उद्देश्य से बनाई गई तीसरी रामलला प्रतिमा भी सामने आ गई है, जिसे शिल्पकार गणेश भट्ट ने काले पत्थर से काटकर बनाया है.

NDTV के पास मूर्ति की तस्वीरें मौजूद हैं, जिसे कर्नाटक स्थित मैसूर के हेगदादेवन कोटे इलाके में खेत में मिले काले पत्थर से काटकर तैयार किया गया है. यह पत्थर, जिसे कृष्ण शिला कहा जाता है, गहरे काले रंग का है.

रामलला के मंदिर में स्थापना की दौड़ में शामिल यह तीसरी मूर्ति का जुड़ाव कर्नाटक के मैसूर स्थित हेगदादेवन कोटे क्षेत्र से है, जहां मूर्तिकार गणेश भट्ट ने एक खेत में मौजूद यह काला पत्थर चुना. NDTV ने सावधानीपूर्वक तैयार की गई मूर्ति की EXCLUSIVE तस्वीरें हासिल की हैं, जो इसके निर्माण में लगी कलात्मकता पर प्रकाश डालती हैं.

हालांकि अब राममंदिर के गर्भगृह की शोभा बढ़ाने के लिए अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई काले ग्रेनाइट की मूर्ति स्थापित हो चुकी है, दोनों अन्य दावेदार भी मंदिर परिसर के भीतर सम्मानजनक स्थान पाने की कोशिश में हैं. इनमें राजस्थान के सत्यनारायण पांडे द्वारा बनाई गई सफेद संगमरमर की मूर्ति भी शामिल है. हालाकि ये दोनों मूर्तियां मंदिर के गर्भगृह में स्थापित न हो सकीं, परन्तु इन्हें राममंदिर में ही स्थान प्राप्त होगा.

सफेद संगमरमर से बनी मूर्ति, संगमरमर के गहनों और कपड़ों से सुसज्जित है, जिसमें भगवान के पास सुनहरा धनुष और तीर भी मौजूद है. इस मूर्ति में भगवान के पीछे मेहराब जैसी एक संरचना है, जो भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों का प्रतिनिधित्व करने वाली छोटी मूर्तियों से सुसज्जित है.

अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई 51-इंच की काले ग्रेनाइट की मूर्ति, जो मंदिर के गर्भगृह में स्थापित हो चुकी है, 2.5 अरब साल पुरानी चट्टान से बनाई गई है. यह जानकारी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रॉक मैकेनिक्स के एच.एस. वेंकटेश ने दी है. उन्होंने कहा कि चट्टान का स्थायित्व और जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध सुनिश्चित करता है कि यह न्यूनतम रखरखाव के साथ उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में हजारों वर्षों तक टिकी रहेगी.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Hathras Stampede Case: ऐसा है करोड़ों रुपए का Bhole Baba का 'आध्यात्मिक संसार' | NDTV Ground Report