कोविशील्ड की दूसरी डोज का वक्त बढ़ाने की वजह, वैक्सीन की किल्लत बताना दुखद : डॉ वीके पॉल

डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा- फंगल इन्फेक्शन शुगर की तकलीफ, स्टेरायड के मिसयूज की वजह से ज्यादा होता है

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नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल.
नई दिल्ली:

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के डायरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया ने आज कोरोना (Coronavirus)  संक्रमित मरीजों में हो रही ब्लैक फंगस की बीमारी को लेकर कहा कि ''फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infection) मिट्टी, हवा,फूड में भी पाया जाता है. यह पहले बहुत कम होता था. यह नई बीमारी नहीं है. कोरोना के ट्रीटमेंट की वजह से इसके काफी मामले सामने आ रहे हैं. एम्स में 23 मामले हैं जिनमें से 20 पॉजिटिव हैं और 3 निगेटिव हैं. उन्होंने बताया कि इससे चेहरे पर प्रभाव होता है. आंख, नाक, ब्रेन में भी इन्फेक्शन हो सकता है. फेंफड़े में भी इन्फेक्शन हो सकता है.''

डॉ गुलेरिया ने कहा कि इससे सर में दर्द, नाक से खून आता है. खांसी में खून आता है. यह अब ज्यादा क्यों हो रहा है?  इस सवाल पर उन्होंने कहा कि ''कोविड इन्फेक्शन को लेकर एक रिस्क फैक्टर है. लिंफोनिया हो जाता है, फंगल इन्फेक्शन के चांस बढ़ जाते हैं. यह शुगर की तकलीफ, स्टेरायड के मिसयूज की वजह से ज्यादा होता है. इसे रोकने के लिए स्टेरायड का मिसयूज रोकना होगा. माइल्ड में  स्टेरायड न दिया जाए. शुगर का कंट्रोल न हो तो फंगल इन्फेक्शन ज्यादा होता है. शुगर चेक करना जरूरी है.'' उन्होंने लोगों से कहा कि ''कंस्ट्रक्शन साइट्स पर जा रहे हों तो मास्क लगाकर रखें, हवा में भी फंगस होता है.'' डॉ गुलेरिया ने कहा कि ''स्टेरायड का डोज देखकर देना चाहिए. हाई डोज से खतरा बढ़ता है. 5-10 से ज्यादा स्टेरायड न दें. डिस्चार्ज होने पर ऐसे लक्षण हों तो डॉक्टर से संपर्क करें.'' 

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उन्होंने बताया कि रूरल इंडिया में कोविड मैनेजमेंट ट्रेनिंग को लेकर 30 अप्रैल से 13 मई तक एम्स ने वेबीनार के ज़रिए प्रोग्राम किया.

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नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा कि ''किसी हद पर कोरोना वायरस पैंडेमिक का स्टेबलाइजेशन दिख रहा है. सिचुएशन स्टेबल होना दिखनी शुरू हो गई है. मिक्स पिक्चर भी है. केस फैटेबिलिटी रेट स्टेबल है. स्टेबलाइजेशन रेट पहली लहर के मुकाबले तेज है. पॉल ने कहा कि टेस्टिंग फरवरी में 5 से 6 लाख कर रहे थे, उतनी ही ज़रूरत थी. अभी 17-18 लाख कर रहे हैं. टेस्टिंग तब बढ़ी जब मामले बढ़े. वर्ल्ड रिकॉर्ड है 19 लाख 80 हजार की टेस्टिंग का. ''

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अभी तक की खबर है कि कोवैक्सीन का महाराष्ट्र और बुलंदशहर में भी उत्पादन होगा. इस पर पॉल ने कहा कि  ''कोवैक्सीन के लिए टाईअप किसी ने कहा, तो ऐसे नहीं हो गया, वक्त लगता है. 3 पीएसयू के साथ कई महीनों से जुटे थे. Covaxin और भी आर्गनाइजेशन बनाएं..इसके पीछे सोच है. यह किसी भी लेबोरेटरी में नहीं बन सकता. इसके लिए Bsl 3 लैब होना चाहिए. इसमें लाइव वायरस होता है. ये कोशिश और जारी रहेगी. उन्होंने कहा कि वैक्सीन उत्पादन 1.5 करोड़ प्रति माह है. सिर्फ भारत बायोटेक का उत्पादन 10 करोड़ प्रति माह पहुंचेगा. तीनों आर्गनाइजेशन के साथ यह 13 करोड़ तक पहुंचेगा.''

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डॉ पॉल ने कहा कि ''कोविशील्ड की दूसरी डोज को लेकर टाइम बढ़ाया गया तो अलग नारेटिव आया. शार्टेज की वजह से किया गया, ये दुख की बात है. ये बेस्ड ऑन साइंस है. डेटा के आधार पर फैसला हुआ. ज्यादा प्रभावी होता है अगर समय अवधि बढ़ते हैं तो.'' उन्होंने कहा कि साइंस के आधार पर बढ़ाया गया है गैप. उन्होंने कहा कि ''कोविशील्ड की दूसरी डोज का वक्त बढ़ाने की वजह, वैक्सीन की किल्लत बताना दुखद है.''

वीके पॉल ने वैक्सीनेशन के प्रभाव को लेकर कहा कि ''62-85% तक असर है. पिछले हफ्ते डाटा देखा गया, ट्रांसमिशन में कमी आई रियल लाइफ में. 3 मई से रिकवरी रेट में ग्रोथ दर्ज हुई है. करीब 5 दिनों से रिकवरी केस एक्टिव केस से ज्यादा हैं. 75% केस 10 राज्यों में हैं. 80% एक्टिव केस 12 राज्यों में हैं. पांच दिनों से 20% से कम पॉजिटिविटी रेट है. एक लाख से ज्यादा एक्टिव केस 11 राज्यों में हैं. 50 हजार से एक लाख एक्टिव केस  8 राज्यों में हैं. 50 हजार से कम केस 17 राज्यों में हैं.'' 

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उन्होंने बताया कि ''15% से ज्यादा पॉजिटिविटी 24 राज्य में है. 5 से 15% 10 राज्यों में और 5% से कम पॉजिटिविटी रेट 3 राज्यों में है.''

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