अपमानित महसूस कर रहा हूं... अधिकारी को चपरासी ने पानी में पेशाब मिलाकर पिलाया, मामले की जांच में जुटी पुलिस

चपरासी ने आरोप से इनकार किया है. उसने कहा, ‘‘मैं एक प्यूरीफायर मशीन से पानी लाया था. मैंने बोतल इंजीनियर के कमरे में रख दी. मुझे नहीं पता कि उसके बाद क्या हुआ.’’

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प्रारंभिक प्रयोगशाला परीक्षण में नमूने में 2.0 पीपीएम अमोनिया पाया गया.
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  • ओडिशा के गजपति जिले में जूनियर इंजीनियर को पेशाब मिला पानी देने का मामला सामने आया है
  • जूनियर इंजीनियर ने आरडब्ल्यूएसएस विभाग कार्यालय में चपरासी द्वारा पानी में मूत्र मिलने की शिकायत दर्ज कराई थी
  • इंजीनियर ने कहा, मैंने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई है. मैं जांच चाहता हूं. मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं.
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गजपति:

ओडिशा के गजपति जिले में एक सरकारी विभाग में नवनियुक्त जूनियर इंजीनियर को पीने के पानी की जगह मूत्र मिला पानी देने के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को आरोपी चपरासी को हिरासत में लिया है. हालांकि आरोपी ने दावा किया कि उसने प्यूरीफायर मशीन से पानी लिया था और बोतल इंजीनियर के कमरे में रख दी थी तथा इसके बाद क्या हुआ, उसे इसकी कोई जानकारी नहीं है. पुलिस ने यह कार्रवाई परलाखेमुंडी स्थित ग्रामीण जलापूर्ति एवं स्वच्छता (आरडब्ल्यूएसएस) विभाग के कार्यालय में हुई घटना के लगभग एक हफ्ते बाद की है.

आरडब्ल्यूएसएस कार्यालय में 18 जुलाई को कार्यभार संभालने वाले जूनियर इंजीनियर ने आर. उदयगिरी थाने में शिकायत दर्ज कराई कि 23 जुलाई को चपरासी ने उसे मानव मूत्र मिले पानी की बोतल दी थी. पुलिस ने चपरासी को नोटिस जारी कर घटना में अपनी भूमिका स्पष्ट करने को कहा.

गजपति के पुलिस अधीक्षक जतिंद्र कुमार पांडा ने ‘पीटीआई-भाषा' से फोन पर कहा, ‘‘सहायक के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई सबूत नहीं होने पर उसे गिरफ्तार करने का कोई मतलब नहीं है. हमने कथित तौर पर मानव मूत्र मिला पानी जब्त कर लिया है और उसे जांच के लिए प्रयोगशाला भेज दिया है. पुलिस ने चपरासी और इंजीनियर से नमूने भी एकत्र किए हैं.''

क्या है पूरा मामला

अपनी शिकायत में इंजीनियर ने कहा कि चपरासी ने उसे पीने के लिए पानी की एक बोतल दी. उन्होंने कहा कि पानी का एक घूंट पीने के बाद उन्हें पानी की गंध और स्वाद अलग लगा तथा उसमें कुछ और होने का संदेह हुआ. इंजीनियर ने शिकायत में कहा कि उस समय मौजूद दो अन्य कर्मचारियों ने भी उस तरल पदार्थ को चखा और उनका संदेह सही साबित हुआ. इसके बाद उन्होंने नमूना आरडब्ल्यूएसएस प्रयोगशाला भेजा. प्रारंभिक प्रयोगशाला परीक्षण में नमूने में 2.0 पीपीएम अमोनिया पाया गया, जिससे मूत्र संदूषण का संदेह पैदा हुआ.

इंजीनियर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अमोनिया के उच्च स्तर से यह साबित होता है कि यह मूत्र था. मैंने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई है. मैं पूरी जांच चाहता हूं. मैं अपमानित महसूस कर रहा हूं.'' चपरासी ने आरोप से इनकार किया. उसने कहा, ‘‘मैं एक प्यूरीफायर मशीन से पानी लाया था. मैंने बोतल इंजीनियर के कमरे में रख दी. मुझे नहीं पता कि उसके बाद क्या हुआ.''

देव कुमार घोष के इनपुट्स के साथ

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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