उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को सत्संग में हुए एक बड़े हादसे में बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की खबर है. भगदड़ मचने से कम से कम 116 लोगों की मौत हो गई है. आखिर कौन है भोले बाबा, जिसके सत्संग में इतना बड़ा हादसा हो गया. हाथरस के सिंकदाराऊ से 5 किमी दूर एटा रोड पर सत्संग का यह टेंट लगा था. खुले खेत में करीब 100 बीघे में सत्संग का आयोजन किया गया था. भगदड़ के बाद यहां मौत का मातम पसरा हुआ है. टाट-पट्टी बिखरी पड़ी है. चारों तरफ सन्नाटा है. कुछ देर पहले वहां क्या हुआ होगा, उसकी गवाही चारों तरफ बिखरा लोगों का सामान दे रहा है. आखिर भगदड़ कैसे हुई.
हाथरस हादसे में केस दर्ज करने की प्रक्रिया जारी
हाथरस हादसे के बाद अब केस दर्ज करने की प्रक्रिया जारी है. जानकारी के मुताबिक, सत्संग में कुल 40 पुलिसकर्मी तैनात थे. इसके अलावा बाबा के सेवादार भी व्यवस्था में लगे हुए थे. बता दें कि बाबा भोलेनाथ की सभा में 50 हजार से भी अधिक लोग शामिल हुए थे. बाबा को प्रशासन की ओर से सभा का आयोजन करने की मंजूरी मिल गई थी. बताया जा रहा है कि अलग-अलग राज्यों से लोग सभा में शामिल हुए थे.
मेरी 15 साल की बेटी नहीं मिल रही है : सत्संग में आई मां बोली
हाथरस भगदड़ की घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी ने कहा, "हम आगरा से यहां सत्संग में शामिल होने आए थे. मेरी 15 साल की बेटी लापता है. आगरा से करीब 20-25 लोग आए थे, लेकिन मुझे बेटी कहीं नहीं मिल रही है. पुलिस का कहना है कि उन्हें कुछ नहीं पता..."
महिला ने बताया कैसे हुआ हादसा?
सत्संग में हिस्सा लेने पहुंची एक महिला ने बताया, “हम कई लोगें के साथ एक गाड़ी में सत्संग में हिस्सा लेने पहुंचे थे. लेकिन अब हमें पता नहीं है कि कुल कितने थे, लेकिन मैं एक बात कह सकती हूं कि हमारे साथ कई लोग थे. सभी एक-दूसरे पर चढ़ रहे थे. एक दूसरे को धक्का दे रहे थे, जिसमें कई लोग दब गए. सत्संग समाप्त होने के बाद जब हम जा रहे थे, तभी लोग एक दूसरे को धक्का देने लगे. एक-दूसरे को कुचलने लगे.“
वहीं, सत्संग में हिस्सा लेने पहुंची ज्योति नाम की युवती ने भी वहां की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा, “हम कई लोगों के साथ सत्संग में हिस्सा लेने पहुंचे थे. वहां बहुत सारे लोग थे. शुरू में तो सब कुछ ठीक ही था, लेकिन सत्संग समाप्त होने के बाद सभी लोग एक दूसरे पर चढ़ गए. पता ही नहीं चला कि ये सब कैसे हो गया. हमें बाहर निकलने की जगह ही नहीं मिल पा रही थी. सत्संग में कई लोग शामिल थे, जिसमें कइयों की मौत हो चुकी है.“
अस्पताल में अव्यवस्था से लोग हुए आक्रोशित
सत्संग में हिस्सा लेने वाले लोगों ने अस्पताल की अव्यवस्था पर भी आक्रोश जताया है. लोगों का कहना है कि अस्पताल परिसर में लाशों का ढेर पड़ा हुआ है, लेकिन एक भी डॉक्टर किसी का भी उपचार करने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं. अस्पताल में महज एक ही डॉक्टर है. लोगों ने अपना रोष जाहिर करते हुए कहा कि पुलिस प्रशासन की लापरवाही की वजह से यह सब कुछ हआ. कल रात से ही रोड पर जाम लगा हुआ था. पुलिस ने वो जाम खुलवा दिया, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ. लोगों ने कहा कि अस्पताल में लाशों का ढेर लग चुका है, लेकिन अस्पताल में एक ही डॉक्टर है.
कौन हैं भोले बाबा?
विश्व हरि भोले बाबा को अनुयायी भोले बाबा के नाम से पुकारते हैं. इनका विवादों से पुराना नाता रहा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि कासगंज जिले के पटियाली स्थित बहादुर नगर के रहने वाले साकार विश्व हरि भोले बाबा ने 17 साल पहले पुलिस विभाग से नौकरी छोड़कर सत्संग शुरू किया था. भोले बाबा के अनुयायी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़ी संख्या में हैं.
कहां हैं भोले बाबा?
भोले बाबा और उनके अनुयायी मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं. भोले बाबा के एक भक्त ने बताया कि उनके जीवन में कोई गुरु नहीं है. वीआरएस लेने के बाद उन्हें अचानक भगवान से साक्षात्कार हुआ और उसी समय से उनका झुकाव आध्यात्म की ओर हो गया. भगवान की प्रेरणा से उन्होंने जान लिया कि यह शरीर उसी परमात्मा का अंश है. उनका असली नाम सूरज पाल है. वो कासगंज के रहने वाले हैं.
50 हजार से ज्यादा लोग सत्संग में आए
उन्होंने बताया कि हर मंगलवार को वो सत्संग करते हैं. अभी मैनपुरी में सत्संग हुआ है. इसके बाद यहां शुरू किया गया. बताया जा रहा है कि कोरोना के समय भी भोले बाबा का सत्संग कार्यक्रम विवादों में आया था. तब उन्होंने अपने सत्संग के लिए सिर्फ 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी, लेकिन बाद में 50 हजार से ज्यादा लोग उनके सत्संग में आ गए. भारी भीड़ के चलते प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई थी.
जिला प्रशासन की ओर से जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर
हाथरस हादसे के बाद जिला प्रशासन ने घटना की स्थिति के मद्देनजर आम लोगों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी किये हैं. जिला प्रशासन ने 05722227041 और 05722227042 नंबर जारी किये हैं.