गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य सरकार द्वारा कोविड-19 महामारी के निरंतर जोखिम के बावजूद छात्रों के लिए स्कूलों में 100 प्रतिशत उपस्थिति पर जोर देने को लेकर सवाल उठाया. मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने कहा कि जहां तक स्कूल में उपस्थिति का सवाल है, तो सरकार को इसे माता-पिता के विवेक पर छोड़ देना चाहिए.
पीठ गुजरात सरकार के 18 फरवरी के परिपत्र को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सभी छात्रों के लिए स्कूलों में व्यक्तिगत रूप से कक्षाओं में शामिल होना अनिवार्य कर दिया गया था.
सरकार ने सभी स्कूलों को ऑनलाइन कक्षाएं बंद करने और ऑफलाइन (प्रत्यक्ष) उपस्थिति अनिवार्य करने का भी आदेश दिया था.
जनहित याचिका में कहा गया है कि 15 वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों का कोविड-19 रोधी टीकाकरण नहीं हुआ है और 100 प्रतिशत उपस्थिति पर जोर देने से उन्हें खतरा होगा. पीठ ने कहा, “आप 100 प्रतिशत उपस्थिति पर जोर क्यों देना चाहते हैं? इसे माता-पिता के विवेक पर छोड़ दें.”
मुख्य न्यायाधीश कुमार ने इस महीने की शुरुआत में छह राज्यों में ओमीक्रोन और डेल्टा स्वरूप के पुनः संयोजक वायरस का पता लगने संबंधी एक समाचार का हवाला दिया. इन राज्यों में से एक गुजरात भी था. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आप जोखिम क्यों लेना चाहते हैं? इसे माता-पिता के विवेक पर छोड़ दें.”