"आतंकवाद का केंद्र अभी भी सक्रिय है", UNSC में बोले विदेश मंत्री एस जयशंकर

एस जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद का खतरा वास्तव में और भी गंभीर हो गया है. हमने अल-कायदा, दाएश, बोको हराम और अल शबाब और उनके सहयोगियों का विस्तार देखा है.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
UNSC में आतंकवाद पर बोले एस जयशंकर
नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने एक बार आतंकवादी घटनाओं को लेकर नाम लिए बगैर पाकिस्तान पर निशाना साधा है. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को UNSC में कहा कि आतंकवाद का केंद्र अभी भी सक्रिय है. उन्होंने चीन को परोक्ष रूप से कठघरे में खड़ा करते हुए इस बात को लेकर अफसोस भी व्यक्त किया कि आतंकवादियों को ब्लैक लिस्ट में डालने के लिए साक्ष्य समर्थित प्रस्तावों को पर्याप्त कारण बताए बिना रोक दिया गया था.‘यूएनएससी ब्रीफिंग: ग्लोबल काउंटर टेररिज्म अप्रोच: चैलेंज एंड वे फॉरवर्ड' की अध्यक्षता करते हुए जयशंकर ने आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक संभावित खतरा बताया और कहा कि यह (आतंकवाद) कोई सीमा, राष्ट्रीयता या नस्ल नहीं जानता. आतंकवाद का खतरा वास्तव में और भी गंभीर हो गया है. हमने अल-कायदा, दाएश, बोको हराम और अल शबाब और उनके सहयोगियों का विस्तार देखा है.

उन्होंने आगे कहा कि विस्तार के दूसरे छोर पर ऑनलाइन कट्टरता और पूर्वाग्रहों से प्रेरित ‘लोन वुल्फ'हमले हैं. लेकिन इस सब में कहीं न कहीं हम यह नहीं भूल सकते कि पुरानी आदतें और स्थापित नेटवर्क अब भी जीवित हैं, विशेष रूप से दक्षिण एशिया में. अप्रिय वास्तविकताओं की चमक को कम करने के लिए चाहे जितनी बातें की जाएं, आतंकवाद का समकालीन केंद्र बहुत सक्रिय रहता है.

वह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का जिक्र कर रहे थे, जिस पर उसके पड़ोसियों ने आतंकवादियों को शरण देने और अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और तालिबान जैसे कई आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह प्रदान करने का आरोप लगाया है. जयशंकर ने कहा कि आतंकवादियों पर पाबंदी लगाने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए समान मानदंड लागू नहीं होते हैं. कभी-कभी ऐसा लगता है कि आतंकवाद का स्वामित्व उसके वास्तविक अपराध या उसके परिणामों से अधिक महत्वपूर्ण है. प्रासंगिक तंत्रों की कार्य पद्धति भी वैध चिंता और बहस का विषय है. एक स्तर पर, हमने ऐसे संरक्षण देखे हैं जो औचित्य के करीब आते हैं। फिर, कुछ ऐसे मौके आते हैं जहां साक्ष्य-समर्थित प्रस्ताव होते हैं लेकिन उन्हें पर्याप्त कारण बताए बिना रोक दिया जाता है. इसके विपरीत, नाम न जाहिर किए जाने का भी सहारा लिया गया है ताकि अपुष्ट मामलों का स्वामित्व लेने से बचा जा सके.

Featured Video Of The Day
IndiGo Crisis के बाद DGCA ने Work Roster वाला अपना आदेश वापस लिया | Pilots' Weekly Rest Order
Topics mentioned in this article