आरजेडी के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने विधानसभा में विधायकों के साथ हुई मारपीट का मुद्दा आज फिर उठाया. उन्होंने कहा- 23 मार्च का काला दिन था, जिसका हम लोग विरोध कर रहे हैं. हम लोग काला मास्क लगाकर विरोध जता रहे हैं. हम जनता से जुड़े मुद्दे उठाते रहे हैं और आगे भी उठाते रहेंगे. लोकतंत्र के मंदिर में विधायकों को पुलिस द्वारा पिटवाया गया जो गलत था. विधायकों का मान-सम्मान नहीं रहेगा, विधायकों को अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया जाएगा तो क्या लोकतंत्र का क्या मतलब रह जाएगा. नीतीश कुमार जिनके इशारे पर ये सब कुछ हुआ वे इसका जवाब दें.
तेजस्वी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिन पहले कहा था कि बिहार में कानून का राज नहीं, पुलिस का राज है. हाई कोर्ट ने तो कहा- बिहार में माइंडलेस गवेर्मेंट है. नेता विरोधी दल के नाते हम चाहते थे कि प्रस्ताव रखते उस पर चर्चा होती मगर वो नहीं हुआ. विपक्ष की अहम भूमिका होती है. विधानसभा अध्यक्ष से हमने दो प्रस्ताव पर बोलने की अनुमति की मांग की है उन्होंने मौखिक रूप से कहा है, मौका दिया जाएगा. नेता प्रतिपक्ष को अपनी बात रखने के लिए मांग रखनी पड़ रही है.
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा में 23 मार्च को उस समय अभूतपूर्व हंगामेदार स्थिति बन गयी थी जब विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को आसन पर पहुंचने से रोकने का प्रयास करने वाले विपक्षी सदस्यों को सदन से मार्शलों की मदद से बाहर निकालने के लिए पुलिस को विधानसभा के भीतर बुलाया गया था. गौरतलब है कि बिहार विधानसभा में मार्च माह में विपक्षी विधायकों ने हंगामा किया था, बाद में सदन के अंदर पहली बार, पुलिस ने घुसकर विधायकों को घसीटते हुए विधानसभा से बाहर निकाला था.राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने पहले ही विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर कहा है कि 23 मार्च की घटना के मद्देनजर विपक्षी दलों के विधायक सदन में प्रवेश करने से डर रहे हैं. इस बीच, सिन्हा ने कहा है कि कोविड-रोधी टीके की खुराक नहीं लेने वाले सदस्यों को मॉनसून सत्र में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी.