TB जांच में आएगी तेजी, जल्द मिलेंगे 1500 नए पोर्टेबल एक्स-रे डिवाइस

केंद्रीय टीबी प्रभाग (CTD) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी तक केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों को कुल 473 एक्सरे डिवाइस उपलब्ध कराई गई हैं लेकिन जल्द ही 1500 डिवाइस की खरीदी के बाद आपूर्ति की जाएगी.

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देश में टीबी  की जांच को और तेज़ और आसान बनाने के लिए केंद्र सरकार 1500 पोर्टेबल हैंडहेल्ड एक्स-रे मशीनें खरीदने जा रही है. इससे खासतौर पर गांवों और दूर-दराज के इलाकों में टीबी के मरीजों की पहचान जल्द हो सकेगी. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह खरीद केंद्रीय स्तर पर की जाएगी ताकि राज्यों और जिलों को जरूरत के हिसाब से तेजी से या डिवाइस उपलब्ध कराई जा सके. जानकारी के अनुसार, टीबी की जांच खास तौर पर गैर लक्षणों वाले केस में एक्स-रे अहम चिकित्सा जांच प्रक्रिया हैं.

क्या है खास इन नई मशीनों में?

ये एक्स-रे डिवाइस छोटी, पोर्टेबल और बैटरी से चलने वाली होती हैं, जिन्हें कहीं भी ले जाया जा सकता है. इन मशीनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल होता है, जिससे टीबी का संक्रमण तुरंत पहचाना जा सकता है. मशीनें क्लाउड स्टोरेज और टेली-रेडियोलॉजी की सुविधा देती हैं, जिससे एक्सपर्ट डॉक्टर कहीं से भी रिपोर्ट देख सकते हैं. 

पायलट प्रोजेक्ट के दिखे अच्छे नतीजे 

केंद्रीय टीबी प्रभाग (CTD) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अभी तक केंद्र सरकार की ओर से सभी राज्यों को कुल 473 एक्सरे डिवाइस उपलब्ध कराई गई हैं लेकिन जल्द ही 1500 डिवाइस की खरीदी के बाद आपूर्ति की जाएगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP) के तहत पहले ही कुछ राज्यों को ये डिवाइस पायलट आधार पर सौंपे गए हैं. अब इनकी सफलता को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय इसका दायरा बढ़ाने जा रहा है.

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WHO की पूर्व वैज्ञानिक डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि केंद्र सरकार का यह कदम टीबी खोज में टेक्नोलॉजी-ड्रिवन अप्रोच को मजबूत करेगा और उन मरीजों तक पहुंचने में मदद करेगा जो अब तक जांच से बाहर रह जाते थे. नई तकनीकों का दूरदराज क्षेत्र तक विस्तार और टीका की खोज तेज करने के क्षेत्र में भारत वैश्विक रोल मॉडल बन सकता है. उन्होंने कहा कि इन पहलों को पूर्ण राजनीतिक समर्थन मिलने के साथ साथ डाटा-उन्मुख नीतियां और नवाचार आधारित दृष्टिकोण पर जोर दिया जाए.

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गांव-गांव से टीबी का सफाया, महाराष्ट्र सबसे आगे

केंद्रीय टीबी प्रभाग से मिली जानकारी के अनुसार, पिछले दो वर्ष में देश की करीब 50 हजार ग्राम पंचायत टीबी मुक्त हुई हैं. सभी राज्यों में कुल 46118 ग्राम पंचायतों में टीबी संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है. इनमें शीर्ष पर महाराष्ट्र है जबकि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पहले पांच राज्यों की सूची में शामिल है. 

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2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य 

ग्राम पंचायतों को टीबी संक्रमण से मुक्त कराने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2023 में योजना शुरू की. ये योजना ग्रामीण क्षेत्रों में समुदाय आधारित भागीदारी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी. ग्राम पंचायतों को तब 'टीबी मुक्त' घोषित किया जाता है जब गांव में कोई सक्रिय टीबी रोगी नहीं हो या फिर पिछले टीबी रोगियों में सभी का इलाज सफल हुआ. राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के अधिकारियों ने कहा कि महाराष्ट्र मॉडल अब अन्य राज्यों के लिए रोडमैप बन सकता है. उत्तर प्रदेश, ओडिशा, और गुजरात जैसे राज्यों में भी यह पहल तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन महाराष्ट्र की पंचायतों ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई है. दरअसल सरकार का लक्ष्य है कि भारत 2025 तक टीबी मुक्त हो जाए. विशेषज्ञों का मानना है कि पंचायत स्तर पर किए जा रहे प्रयास और नई तकनीकों का इस्तेमाल इस लक्ष्य को पाने में बड़ी मदद करेगा.

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