केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (Central Board of Film Certification) एक बार फिर से विवादों में है. दक्षिण भारत के फिल्म अभिनेता विशाल ने सीबीएफसी पर रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप लगाया है. विशाल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर पहले स्क्रीनिंग और फिर सर्टिफिकेशन के लिए पैसे देने का दावा भी किया है. विशाल के इस आरोप को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने जहां जांच के आदेश दिए हैं, वहीं फिल्म निर्माण से जुड़ी इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर एसोसिएशन (Indian Film and Television Directors Association) और इंडियन मोशन पिक्चर्स एसोसिएशन (Indian Motion Pictures Association) ने सीबीआई जांच की मांग की है.
फिल्मों में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाले अभिनेता ने आरोप लगाया है कि सेंसर बोर्ड से अपनी नई फिल्म मार्कएंटोनी के हिंदी संस्करण को पास कराने के लिए रिश्वत देनी पड़ी. तमिल फिल्मों के ऐक्शन हीरो विशाल ने सोशल मीडिया पर खुद पोस्ट कर मुंबई केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड पर यह गंभीर आरोप लगाया है.
दो लोगों के नाम और बैंक अकाउंट की दी जानकारी
अभिनेता विशाल ने सिर्फ आरोप नहीं लगाया है बल्कि दो लोगों के नाम और बैंक अकाउंट की जानकारी भी दी है. एक पर तीन लाख और एक पर साढ़े तीन लाख देने का दावा किया है. विशाल के इस आरोप के बाद अब मुंबई में IFTDA और IMPA ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने दिया जांच का आदेश
इस मामले में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने तो कोई प्रतिक्रिया नही दी है, लेकिन केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने जांच का आदेश देते हुए बयान जारी किया है कि सीबीएफसी में भ्रष्टाचार का मुद्दा अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. सरकार भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस रखती है और इसमें शामिल पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी को आज ही जांच करने के लिए मुंबई भेजा गया है.
2014 में सेंसर बोर्ड सीईओ और अन्य की हुई थी गिरफ्तार
गौरतलब है सेंसर बोर्ड पर इसके पहले भी रिश्वत मांगने का आरोप लग चुका है. साल 2014 में सेंसर बोर्ड के तत्कालीन सीईओ राकेश कुमार और अन्य को सीबीआई ने गिरफ्तार भी किया था. हालांकि खुद IFTDA और IMPA का मानना है कि अब सबकुछ ऑनलाइन हो चुका है, इसलिए भ्रष्टाचार की गुंजाइश ना के बराबर है. बहरहाल अभी जो दो नाम आए हैं वो दोनो सेंसर बोर्ड से जुड़े नही हैं, लेकिन ये भी मुमकिन नहीं है कि सेंसर बोर्ड के किसी अधिकारी की मिलीभगत के बिना दोनों इस तरह का काम कर सके. इसलिए मांग की जा रही है कि सीबीआई जांच हो, क्योंकि जो आरोप है बहुत ही संगीन हैं.