तालिबान ने कहा, अफगानिस्तान में भारत के विकास कार्य काबिलेतारीफ मगर ये भूल कभी न करे...

तालिबान प्रवक्ता मुहम्मद सुहैल शाहीन (Taliban) ने कहा, अफगानिस्तान में दूसरे देशों के सैन्य दखल के नतीजों से सभी वाकिफ हैं. यह सभी के लिए एक खुली किताब की तरह है.

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Taliban प्रवक्ता ने अफगानिस्तान ( Afghanistan) में भारत के विकास कार्यों को सराहा
नई दिल्ली:

Taliban : अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Afghanistan capital Kabul) की ओर तेजी से बढ़ते तालिबान ने भविष्य के इरादों को लेकर स्पष्ट संकेत दे दिए हैं. तालिबान प्रवक्ता ने ANI से बातचीत में भारत के उनके देश में चल रहे विकास कार्यों की तारीफ की है. तालिबान प्रवक्ता मुहम्मद सुहैल शाहीन ने कहा कि वो (भारत) राष्ट्रीय विकास परियोजनाओं और अफगान जनता को फायदा पहुंचाने वाले कार्यों में मदद कर रहे हैं. भारत ने पहले भी ऐसा किया है. तालिबान सोचता है कि यह कदम प्रशंसनीय है. लेकिन भारत अगर अफगानिस्तान में सैन्य मौजूदगी चाहता है तो तालिबान का सोचना है कि यह उनके लिए अच्छा नहीं होगा.तालिबान प्रवक्ता ने एक दिन पहले ही NDTV से बातचीत में पत्रकार दानिश सिद्दीकी के मारे जाने को सफाई पेश की थी. उसने कहा था कि सिद्दीकी ने हमसे मंजूरी नहीं ली थी और क्रास फायरिंग में उसकी मौत हुई.

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तालिबान प्रवक्ता मुहम्मद सुहैल शाहीन (Taliban spokesman Muhammad Suhail Shaheen said) ने कहा, अफगानिस्तान में दूसरे देशों के सैन्य दखल के नतीजों से सभी वाकिफ हैं. यह सभी के लिए एक खुली किताब की तरह है. गौरतलब है कि तालिबान ने शुक्रवार को अफगान सरकार के हाथों से कई बड़े शहर छीन लिए और वह तेजी से काबुल की ओर बढ़ रही है. इस बीच अमेरिका, कनाडा और अन्य देशों द्वारा अपने कर्मियों या नागरिकों को वहां से निकालने की प्रक्रिया तेज हो गई है. अमेरिका का पहला मरीन हेलीकॉप्टर भी शुक्रवार को काबुल एयरपोर्ट पर पहुंचा. हालांकि काबुल समेत कुछ शहर अभी भी अफगान की गनी सरकार के कब्जे में हैं.

मगर तालिबान अफगानिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कंधान पर कब्जा जमा चुका है. तालिबान अमेरिकी हवाई हमलों और अफगान सेना के कड़े जवाब के बावजूद जिस तेजी से आगे बढ़ा है, उसको लेकर सभी हैरान है. अमेरिका ने 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हुए भीषण हवाई हमले के बाद अफगानिस्तान पर धावा बोल दिया था.

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लेकिन तालिबान 20 साल बाद फिर अफगानिस्तान में नियंत्रण की ओर आगे बढ़ रहा है. अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में सैनिकों ने आत्मसमर्पण करने के साथ हथियार डाल दिए हैं. इससे तालिबान के हाथों में बड़े पैमाने पर वाहनों और हथियारों का जखीरा मिला है. 

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