स्वामी प्रसाद मौर्या ने "भेदभाव" का हवाला देकर SP के राष्ट्रीय महासचिव पद से दिया इस्तीफा

स्वामी प्रसाद के हिन्दू धर्म विरोधी बयानों को लेकर पार्टी विधायक मनोज पांडेय से लेकर तमाम नेताओं ने सवाल उठाए थे. मनोज पांडेय ने स्वामी को मानसिक तौर पर अस्वस्थ बताया था.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya) ने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है. उन्होंने कहा है कि बिना किसी पद के भी पार्टी के लिए काम करते रहेंगे.  सपा प्रमुख को भेजे पत्र में मौर्या ने लिखा है कि जबसे में समाजवादी पार्टी में सम्मिलित हुआ, लगातार जनाधार बढ़ाने की कोशिश की. सपा में शामिल होने के दिन ही मैंने नारा दिया था "85 तो हमारा है, 15 में भी बंटवारा है".

स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा है कि पार्टी द्वारा लगातार इस नारे को निष्प्रभावी करने एवं वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सैकड़ो प्रत्याशीयों का पर्चा व सिंबल दाखिल होने के बाद अचानक उम्मीदवारों  के बदलने के बावजूद भी पार्टी का जनाधार बढ़ाने में सफल रहे, उसी का परिणाम था कि सपा के पास जहां 2017 में मात्र 45 विधायक थे वहीं पर विधानसभा चुनाव 2022 के बाद यह संख्या 110 विधायकों की हो गई थी. 

सपा के विधान परिषद सदस्य मौर्य ने पार्टी अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा है कि उन्होंने पार्टी का जनाधार बढ़ाने का काम अपने तौर तरीके से जारी रखा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘मकड़जाल' में फंसे आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों के ‘स्वाभिमान' को जागने की कोशिश की.

विवादों में रहे हैं स्वामी प्रसाद
स्वामी प्रसाद के हिन्दू धर्म विरोधी बयानों को लेकर पार्टी विधायक मनोज पांडेय से लेकर तमाम नेताओं ने सवाल उठाए थे. मनोज पांडेय ने स्वामी को मानसिक तौर पर अस्वस्थ बताया था. इसपर स्वामी ने मनोज पांडेय को बीजेपी का एजेंट करार दिया था. आये दिन इस तरह की बयानबाज़ी स्वामी और पार्टी के दूसरे नेताओं के बीच चल रही थी.  स्वामी के ख़िलाफ़ कई विधायकों और नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से शिकायत भी की थी. विपक्षी दलों ने भी स्वामी प्रसाद  मौर्या के बयानों को लेकर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा था. 

स्वामी प्रसाद मौर्या ने अनदेखी का लगाया आरोप
स्वामी प्रसाद मौर्या ने पत्र में कहा है कि पार्टी को ठोस जनाधार देने के लिए जनवरी-फरवरी 2023 में मैंने आपके (अखिलेश यादव)  पास सुझाव रखा था कि जातिवार जनगणना कराने, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ो के आरक्षण को बचाने, बेरोजगारी व बढ़ी हुई महंगाई, किसानों की समस्याओं व लाभकारी मूल्य दिलाने, लोकतंत्र व संविधान को बचाने, देश की राष्ट्रीय संपत्तियों को निजी हाथ में बेचे जाने के विरोध में प्रदेश व्यापी भ्रमण कार्यक्रम हेतु रथ यात्रा निकाला जाए. जिस पर आपने सहमति देते हुए कहा था "होली के बाद इस यात्रा को निकाला जायेगा" आश्वासन के बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम नहीं आया.  नेतृत्व की मंशा के अनुरूप मैंने पुनः कहना उचित नहीं समझा. 

ये भी पढ़ें- : 

Featured Video Of The Day
Surya Grahan 2025 | Amul GST Cut Rate | India Pakistan Asia Cup Match | Top Headlines of the day
Topics mentioned in this article