सिंधु जल समझौते को स्‍थगित करना इतना क्‍यों महत्‍वपूर्ण, जानिए पूर्व राजनयिक ने क्‍या बताया

पूर्व राजनयिक श्‍याम सरन ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में सिंधु जल समझौते को स्‍थगित करने को लेकर कहा कि यह ऐसा पहलू है, जिसे पहले कभी भी पहले नहीं अपनाया गया है.

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नई दिल्‍ली :

जम्‍मू कश्‍मीर के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्‍तान के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं. इन कदमों में सिंधु जल समझौते को स्‍थगित करना भी शामिल है. पूर्व राजनयिक श्‍याम सरन ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में सिंधु जल समझौते को लेकर बात की और कहा कि इस समझौते को स्‍थगित करना मामूली बात नहीं है. साथ ही कहा कि यह हमारी तरफ से सही प्रतिक्रिया रही है. उन्‍होंने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि पूरी तरह से पानी रोका जाएगा. 

पूर्व राजनयिक श्‍याम सरन ने पाकिस्‍तान के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कहा कि  हमारे जिस तरह के हमारे ताल्‍लुकात हैं, उनमें ट्रेड, ट्रांजिट या विशेष वीजा की स्कीम को रद्द कर दिया गया है और जो नया पहलू है उसमें बहुत ही महत्‍वपूर्ण सिंधु जल समझौता है, जिसे स्‍थगित कर दिया गया है. 

पहले कभी नहीं अपनाया यह पहलू: सरन

इसके साथ ही उन्‍होंने सिंधु जल समझौते को स्‍थगित करने को लेकर कहा कि यह ऐसा पहलू है, जिसे पहले कभी भी पहले नहीं अपनाया गया है. उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों के बीच युद्ध के वक्‍त भी इस समझौते को स्‍थगित नहीं किया गया था. यह नया पहलू है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि इस तरह के फैसले से पाकिस्‍तान पर दबाव बनेगा. 

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उन्‍होंने कहा कि यह समझौता पाकिस्‍तान के लिए लाइफलाइन है, यह हमें भी स्‍वीकार करना पड़ेगा. यह समझौता रद्द नहीं किया गया है, बल्कि स्‍थगित किया गया है.

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नहीं लगता कि पानी पूरी तरह रोका जाएगा: सरन

उन्‍होंने कहा कि अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों में ऊपरी इलाकों वाले देशों की कुछ जिम्‍मेदारियां हैं और अधिकार भी हैं. साथ ही निचले इलाकों वाले देश के भी कुछ जिम्‍मेद‍ारियां और अधिकार हैं. द्विपक्षीय समझौता न भी हो तो भी अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों को माना जाता है. उन्‍होंने कहा कि मेरा मानना है कि भारत सरकार अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों को मानती है इसलिए मैं मानता हूं कि ऐसी स्थिति नहीं आएगी कि पानी का पूरा प्रवाह बंद कर दिया जाएगा. 
 

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