ऐसा इतिहास बनाया मानो आजादी की लड़ाई सिर्फ एक पार्टी ने लड़ी... कांग्रेस पर बरसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने भी पासी और दलित समाज के नायकों को उचित स्थान नहीं दिया. मुगलों के इतिहास को बढ़ा चढ़ाकर बताने वाले इतिहासकारों ने इन नामों को सम्मान नहीं दिया.

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  • रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वामपंथी इतिहासकारों पर दलित और पिछड़े नायकों की उपेक्षा का आरोप लगाया है.
  • उन्होंने कहा कि पूर्व सरकारों ने भी दलित समाज के वीरों को इतिहास में उचित सम्मान नहीं दिया है.
  • उन्‍होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को ऐसे प्रस्तुत किया मानो आजादी की लड़ाई एक ही पार्टी ने लड़ी.
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नई दिल्‍ली :

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह स्वतंत्रता संघर्ष के इतिहास लेखन में दलित नायकों की उपेक्षा के लिए वामपंथी इतिहासकारों पर जमकर बरसे. रक्षा मंत्री ने रविवार को लखनऊ में वीरांगना ऊदा देवी पासी की प्रतिमा का अनावरण किया. इस दौरान उन्‍होंने पासी, आदिवासी और पिछड़े समुदाय की उपेक्षा का ठीकरा पूर्ववर्ती सरकारों पर मढ़ते हुए कहा कि वामपंथी इतिहासकारों ने अपनी सुविधानुसार इतिहास को लिखा, जिसमें दलित और पिछड़े समाज के नेताओं की वीरता और बलिदान को दरकिनार किया गया. 

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्व की सरकारों ने भी पासी और दलित समाज के नायकों को उचित स्थान नहीं दिया. मुगलों के इतिहास को बढ़ा चढ़ाकर बताने वाले इतिहासकारों ने इन नामों को सम्मान नहीं दिया. हमारी इतिहास की किताबों में कभी उन्हें मान्यता नहीं दी. 

गुमनाम नायकों को सामने लाने का कार्य किया: सिंह 

उन्होंने कहा कि यही वजह है कि अब हमारी सरकार ने ऐसे गुमनाम नायकों को भी सामने लाने का कार्य किया है, जिनके योगदान से स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी. उनके बलिदान और संघर्ष को याद करना और सम्मान देना हमारा कर्तव्य है. 

उन्‍होंने कहा कि मोदी सरकार ने तो हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि देश के हर वर्ग, विशेषकर समाज के हाशिये पर रहने वाले समुदायों को, उचित प्रतिनिधित्व मिले. उन्हें अपनी बात रखने के लिए स्थान मिले. उन्‍होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के मंत्रिमंडल में भी इस बात का ध्यान रखा गया है कि समाज के वंचित और पिछड़े समुदायों को सही जगह मिले. 

बिना नाम लिए कांग्रेस पर जमकर बरसे राजनाथ सिंह 

कांग्रेस का नाम लिए बगैर राजनाथ सिंह ने  कहा कि उन्होंने  भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को इस तरह प्रस्तुत किया गया मानो आजादी की लड़ाई केवल एक ही पार्टी और कुछ विशेष वर्गों या समुदायों ने लड़ी हो. इससे लोगों के मन में यह भ्रम पैदा हो गया कि स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व कुछ गिने-चुने लोगों ने किया था. उन्होंने कहा कि उन हाशिए पर रहे समुदायों के संघर्ष और बलिदान को नजरअंदाज कर दिया गया, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता में अमूल्य योगदान दिया. खासकर पासी समाज जैसे समुदाय, जिन्होंने अपने पराक्रम, त्याग और संघर्ष से आजादी के आंदोलन को मजबूती दी, उन्हें इतिहास में उचित स्थान नहीं दिया गया जबकि वे भी इस महान यात्रा के समान रूप से भागीदार और नायक थे. 

उन्‍होंने कहा कि इसी का नतीजा रहा कि दलित, आदिवासी, महिलाओं और पिछड़े समुदायों के असंख्य वीरों को इतिहास के पन्नों में उचित स्थान नहीं मिला. इन नायकों को न सिर्फ पढ़ाया जाना चाहिए था बल्कि उनको पूजा जाना चाहिए था. 
 

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