हैदराबाद में दुर्लभ हृदय रोग से पीड़ित मां और बेटे की सफल सर्जरी

डॉक्टर ने कहा, ''महिला का 18 वर्षीय बेटा जो उससे मिलने आया था, उसकी लंबाई भी 6 फीट 4 इंच थी, जो आनुवंशिक समानता को दर्शाता है. हमें संदेह था कि बेटे को भी मार्फ़न सिंड्रोम सहित कुछ स्थितियां विरासत में मिली होंगी."

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हैदराबाद में डॉक्टर ने मां और बेटे का सफल ऑपरेशन किया.

हैदराबाद के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने एओर्टिक एन्यूरिज्म डिजीज से पीड़ित एक महिला और उसके बेटे का सफल ऑपरेशन किया. एओर्टिक एन्यूरिज्म वह स्थिति है जिसमें धमनी की दीवार कमजोर होकर फूल जाती है, जिसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. यह अत्यंत दुर्लभ मामला बताया जा रहा है, जिसमें महिला को हृदय रोग अपनी मां से विरासत में मिला, तथा इस रोग ने उसके बेटे को भी अपनी चपेट में ले लिया.

हालांकि ऐसी स्थितियां जेनेटिक कारणों से हो सकती हैं, लेकिन अत्यंत दुर्लभ मार्फन सिंड्रोम की घटना और भी दुर्लभ है, जो प्रति 1,00,000 में केवल 0.19 लोगों को प्रभावित करती है. कंसल्टेंट कार्डियोथोरेसिक सर्जन विशाल वी. खांते ने कहा, '' मां और बेटे का कामिनेनी अस्पताल में सर्जरी से सफलतापूर्वक इलाज किया गया, जहां डॉक्टरों ने एन्यूरिज्म महाधमनी को कृत्रिम महाधमनी से बदल दिया, जिससे उनकी जान बच गई.''

डॉक्टरों के अनुसार यह परिवार कई तरह की समस्याओं से जूझ रहा है. उनकी हड्डियां और लिगामेंट भी कमजोर हैं और उन्हें रक्त वाहिकाओं और वाल्वों में भी समस्या है.

खांते ने कहा, "लगभग छह महीने पहले एक महिला हमारे आपातकालीन विभाग में आई थी. विभिन्न परीक्षणों के बाद, हमने पाया कि उसकी महाधमनी फट गई थी. हमने तुरंत कृत्रिम महाधमनी प्रत्यारोपित करने के लिए आपातकालीन सर्जरी की. महिला सामान्य महिलाओं की तुलना में काफी लंबी थी, उसकी लंबाई 5 फीट 9 इंच थी.''

आगे डॉक्टर ने कहा, ''महिला का 18 वर्षीय बेटा जो उससे मिलने आया था, उसकी लंबाई भी 6 फीट 4 इंच थी, जो आनुवंशिक समानता को दर्शाता है. हमें संदेह था कि बेटे को भी मार्फ़न सिंड्रोम सहित कुछ स्थितियां विरासत में मिली होंगी और हमने उसका भी परीक्षण किया. हमें वही समस्या मिली और हमने उसे तुरंत सर्जरी करवाने की सलाह दी. हालांकि पैसे की समस्या के कारण वे छह महीने बाद वापस आए.''

युवक की महाधमनी भी काफी बड़ी हो गई थी. सभी आवश्यक परीक्षण करने के बाद डॉक्टरों ने बेंटल प्रक्रिया के तहत एक जटिल सर्जरी की. खांते ने कहा, "हमने बढ़ी हुई महाधमनी को निकाल दिया और उसकी जगह कृत्रिम महाधमनी लगाई, जिसमें 29 आकार का वाल्व और ट्यूब लगाया गया. यह एक बहुत ही जटिल और चुनौतीपूर्ण सर्जरी थी, जिसकी सफलता दर केवल 50 प्रतिशत थी. सौभाग्य से, मां और अब बड़े बेटे दोनों की सर्जरी पूरी तरह सफल रही.''

उन्‍होंने कहा, ''यह जेनेटिक स्थिति आनुवंशिक रूप से आगे बढ़ती है। इस मामले में इसने दादी, मां और बड़े बेटे को प्रभावित किया. 14 वर्षीय छोटे बेटे पर किए गए परीक्षणों से पता चला कि उसे भी यही समस्या है. इन स्थितियों की जल्द से जल्द पहचान करने से महाधमनी के बढ़ने और फटने से पहले समय से हस्तक्षेप से जीवन बच सकता है.''

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