इजरायली दूतावास के पास विरोध-प्रदर्शन करने का प्रयास कर रहे छात्रों को हिरासत में लिया गया

जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने दावा किया कि पुलिस कार्रवाई के दौरान कई छात्रों को चोटें आईं. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया.

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दिल्ली पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मार्ग स्थित इजरायली दूतावास तक पहुंचने से रोकने के लिए अवरोधक लगा रखे थे.
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय राजधानी में इजरायली दूतावास के पास फलस्तीन के समर्थन में प्रदर्शन करने का प्रयास कर रहे 200 से ज्यादा छात्रों को पुलिस ने सोमवार को कुछ देर के लिए हिरासत में ले लिया. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू), जामिया मिल्लिया इस्लामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र ताज मानसिंह होटल के पास बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए थे.

पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मार्ग स्थित इजरायली दूतावास तक पहुंचने से रोकने के लिए अवरोधक लगा रखे थे. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि चूंकि छात्रों के पास प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं थी, ऐसे में जब उन्होंने दूतावास की ओर बढ़ने का प्रयास किया तो उन्हें हिरासत में ले लिया गया. उन्होंने कहा कि किसी को भी कानून व्यवस्था का उल्लंघन करने की इजाजत नहीं दी जाएगी.

पुलिस अधिकारी ने कहा, “विरोध प्रदर्शन के दौरान दूतावास के सामने जाने की कोशिश कर रहे लगभग 200 छात्रों को हिरासत में लिया गया। उन्हें अलग-अलग थानों में ले जाया गया और बाद में छोड़ दिया गया.” प्रदर्शनकारी छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ 'दुर्व्यवहार' किया, लेकिन पुलिस ने आरोपों से इनकार किया है. प्रदर्शन में ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आईसा), दिशा छात्र संगठन, स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ इंडिया (डीएसएफ) के सदस्यों ने हिस्सा लिया.

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जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने दावा किया कि पुलिस कार्रवाई के दौरान कई छात्रों को चोटें आईं. उन्होंने आरोप लगाया कि प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया. घोष ने एक बयान में कहा, “उन्हें मेट्रो स्टेशनों और उनके वाहनों से बेरहमी से हिरासत में लिया गया.” पुलिस अधिकारियों ने आरोप का खंडन किया, और कहा कि प्रदर्शन की कोई अनुमति नहीं दी गई थी. प्रदर्शनकारियों ने फलस्तीन के समर्थन में नारे लगाते हुए उन्हें न्याय दिलाने की मांग की. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'यह प्रदर्शन सिर्फ फलस्तीनियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए था.'
 

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