करगिल युद्ध की कहानी भारतीय वायु सेना के उन 5 हीरो की जुबानी जो पाकिस्तान पर कहर बनकर टूटे

Story of Kargil war : करगिल युद्ध के दौरान भारतीय थल सेना और वायु सेना ने बहुत ही बहादुरी से पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों के परखच्चे उड़ा दिए...पढ़ें करगिल युद्ध के शौर्य के किस्से...

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Story of Kargil war : करगिल@25 के तहत हम करगिल युद्ध की शानदार विजय के पच्चीस साल का जश्न मना रहे हैं. युवाओं के लिए तो किताबों में पढ़ा जाने वाला युद्ध है लेकिन 40 साल से ऊपर सभी भारतीयों ने इस युद्ध को महसूस किया है. अपनी नजरों के सामने इस कठिन और चुनौतीपूर्ण युद्ध में भारत के जांबाज सैनिकों को भारत के लिए मुस्कुराते हुए मां भारती की रक्षा में प्राण गंवाते हुए देखा है. 1999 के यही जून और जुलाई के महीने थे, जब भारत के उत्तर में कश्मीर के सुंदर वादियों में तोप और बम के गोले गड़गड़ा रहे थे. भारत के दुश्मन पाकिस्तान अपने सैनिकों और अपने मददगार आतंकवादियों की बदौलत सीमा (एलओसी) को पार कर भारत के इलाकों में कई ऊंची पहाड़ों और चोटियों पर कब्जा जमाने की नापाक कोशिश की थी. तब भारत की थल और वायु सेना को एक लाइन का आदेश मिला था कि हमें अपना इलाका हर कीमत पर खाली कराना है और ऐसा जवाब देना है दुश्मन को कि दोबारा करगिल जैसी स्थिति पैदा ना होने पाए. उस वक्ता अटल बिहारी वाजेपेयी की सरकार थी. 

क्या किया था इन 5 नायकों ने

करगिल@25 में एनडीटीवी इस युद्ध के असली हीरो से देश को रूबरू करा रहा है. इसी क्रम में आज वायु सेना के वो 5 हीरो एनडीटीवी पहुंचे जो पाकिस्तान पर कहर बनकर टूटे थे. ये पांचों अब रिटायर हो चुके हैं, लेकिन देश के लिए जज्बा आज भी करगिल युद्ध की तरह जवान है. सबसे पहले हीरो है एयर मार्शल रघुनाथ नाम्बियार. ये वो शख्स है जिन्होंने सबसे पहले हिंदुस्तान में लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल किया और टाइगर हिल की जो शानदार तस्वीरें देखते हैं हम, जिसमें टाइगर हिल के ऊपर एक बम गिरता है, वो रघुनाथ नाम्बियार के फाइटर प्लेन से गिरा था. दूसरे हीरो एयर मार्शल दिलीप पटनायक हैं. ये भी टाइगर हिल के मिशन में शामिल रहे और पाकिस्तान सेना और आतंकवादियों के छक्के छुड़ा गिए. तीसरे हीरों हैं ग्रुप कैप्टन श्रीपद टोकेकर. इन्होंने मिराज 2000 के जरिए मुंथो धालो की पहाड़ियों पर पाकिस्तानियों के चिथड़े उड़ा दिए. टाइगर हिल पर वो सबसे पहली सफलता भारत को मिली थी. तीसरे हीरो ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी हैं. ये मिग 27 के फाइटर पाइलट थे. इन्होंने मिग 27 के जरिए दुश्मनों के दांत खट्टे किए. वहीं पांचवे हीरों हैं विंग कमांडर पीजे ठाकुर. इन्होंने मिग 25 से दुश्मन की लोकेशन का पता लगाया और उसके बाद पाकिस्तान पर भारतीय वायु सेना काल बन कर टूट पड़ी.  

आज भी जहन में ताजा हैं वो पल

एयर मार्शल रघुनाथ नाम्बियार ने बताया कि टाइगर हिल की जो आप वीडियो देखते हैं, उससे एक दिन पहले 23 मई 1999 को हमने इसी टारगेट पर हमले की योजना थी, लेकिन यह नहीं हो पाया. दूसरे दिन जब हम हमला करने गए तो चीफ ऑफ एयर स्टाफ हमारे साथ थे. वो देखना चाहते थे कि लेजर गाइडेड बम का कैसा असर होता है. हम सब बहुत उत्साहित थे. जब बम गिरा तो जिंदगी की सबसे ज्यादा खुशी उस समय हुई. ऐसी खुशी कॉकपिट में तो नहीं ही मिलती है. एयर मार्शल दिलीप पटनायक ने बताया कि एयरफोर्स में जिंदगी गुजर जाती है ट्रेनिंग लेने में और जब मौका मिलता है गिराने का तो उसके सटीक निशाने को लेकर बहुत ज्यादा खुद पर प्रेशर होता है. अगर यह मिस हुआ तो इंसान खुद को माफ नहीं कर पाएगा. 8 सेकेंड के अंदर सटीक निशाना लगाता होता है. ग्रुप कैप्टन श्रीपद टोकेकर ने बताया कि मुंतो धालो मिशन की कहानी बताई. ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी ने मिग 27 के साथ पाकिस्तानी सेना के खात्मे के किस्से बताते हुआ कहा कि पाकिस्तान ने दोबारा ऐसा दुस्साहस नहीं किया क्योंकि उनको करगिल में बहुत बड़ा सबक सिखाया गया था. वहीं विंग कमांडर पीजे ठाकुर ने मिग 25 के जरिए कैसे दुश्नमनों के लोकेशन को ट्रैक किया, इसके बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि मिग 25 की स्पीड बहुत ज्यादा होती है और इस स्पीड पर कैमरे से लोकेशन को ट्रैक करना बहुत मुश्किल था, मगर हमारी ट्रेनिंग ऐसी थी कि यह काम कर पाए.

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