त्रिपुरा में बिना बिजली वाले दूरदराज के एक गांव की कहानी, हर बार मिल जाता है एक वादा

Tripura Lok Sabha Elections 2024 : गांव में कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं है और एकमात्र स्वास्थ्य सुविधा चावमानु में मौजूद है, जो विद्याकुमार रोअजा पारा और इसके आस-पास की 10 आदिवासी बस्तियों से बहुत दूर है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
विद्या कुमार रोअजा पाड़ा गांव पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. (सांकेतिक फोटो)
चावमानु (त्रिपुरा):

त्रिपुरा में धलाई जिले के दूरदराज के गांव विद्या कुमार रोअजा पाड़ा में रहने वाले ‘झुमिया' (जगह जगह पर कृषि कार्य करने वाले) किसान बिक्रमजॉय त्रिपुरा का कहना है कि नेता चुनाव के दौरान उनके गांव में आते हैं और विकास का वादा करते हैं, पर कोई वादा पूरा नहीं करते. इसके बावजूद वह हर बार इस उम्मीद में मतदान करते हैं कि उन्हें अपने घर पर बिजली और मोबाइल फोन ‘कनेक्टिविटी' की सुविधा मिलने लगेगी. 

धलाई जिला मुख्यालय अंबासा से लगभग 62 किमी दूर स्थित इस गांव की मुख्य समस्या आवागमन एवं संपर्क है, क्योंकि प्रखंड मुख्यालय चावमानु से गांव तक मोटर वाहन के लिए उपयुक्त सड़क नहीं है. उन्होंने इस सुदूरवर्ती गांव का दौरा करने वाले ‘पीटीआई-भाषा' के संवाददाता से बातचीत में यह बात कही. उन्होंने कहा कि उनके गांव में बिजली, मोबाइल फोन सम्पर्क या स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं नहीं है.

बिक्रमजॉय (41) ने कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव आ रहा है और हम सभी 26 अप्रैल को मतदान करेंगे, लेकिन यह हमारे लिए पांच साल में एक बार होने वाली खानापूर्ति बनकर रह जाएगा क्योंकि इससे हमारी समस्याओं का कोई समाधान नहीं निकलेगा.''

स्थानीय भाजपा नेता बिक्रमजीत ने कहा, ‘‘इस गांव में 763 झुमिया परिवार रहते हैं. मानसून के दौरान सभी स्थानांतरित खेती में लगे हुए हैं और राज्य के बाकी हिस्सों से कटे रहते हैं. चावमानु से विद्या कुमार रोअजा पारा (थलचेर्रा) तक की सड़क पिछले कई वर्षों से मरम्मत नहीं होने के कारण मौत के गड्ढे के रूप में तब्दील हो गई है. 11 गांवों में रहने वाले झुमिया परिवारों को राशन लेने के लिए 10 से 20 किमी पैदल यात्रा करनी पड़ती है क्योंकि विद्या कुमार रोअजा पारा से उनके गांवों तक कोई सड़क नहीं है.'' उन्होंने कहा कि गांव के लोगों के पास स्मार्टफोन तो हैं लेकिन वे इसका उपयोग नहीं कर सकते क्योंकि गांव में बिजली नहीं है. मोबाइल चार्ज करने के लिए लोगों को 10-12 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है, जो चावमानु प्रखंड मुख्यालय के करीब है.

एक बुजुर्ग महिला चार्डेन त्रिपुरा ने अपने पैतृक गांव विद्या कुमार रोअजा पारा (थालचेरा) की इन्हीं समस्याओं को दोहराया. 54 वर्षीय महिला ने कहा, ‘‘हमने अपने विधायक शंभू लाल चकमा को कई महीनों से नहीं देखा है. चुनाव आने पर वह हमसे मिलने आते हैं. उम्मीद है कि वह वोट मांगने के लिए जल्द ही हमारे गांव आएंगे.''

यह गांव पूर्वी त्रिपुरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहां 26 अप्रैल को मतदान होना है. एक दुकानदार हिंदीजॉय त्रिपुरा ने कहा, ‘‘हम 300 रुपये खर्च करके अपना मोबाइल फोन रिचार्ज करते हैं, लेकिन कमजोर मोबाइल ‘कनेक्टिविटी' के कारण महीने में मुश्किल से पांच से छह दिन मोबाइल डेटा का उपयोग करते हैं. तत्काल आवश्यकता पर हम मोबाइल सिग्नल प्राप्त करने के लिए पहाड़ियों पर चढ़ जाते हैं.''

गांव में कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं है और एकमात्र स्वास्थ्य सुविधा चावमानु में मौजूद है, जो विद्याकुमार रोअजा पारा और इसके आस-पास की 10 आदिवासी बस्तियों से बहुत दूर है. त्रिपुरा-पूर्व लोकसभा क्षेत्र के मौजूदा सांसद रेबती त्रिपुरा ने कहा कि उन्होंने कई बार केंद्र में ग्रामीणों की ओर से ‘सम्पर्क' का मुद्दा उठाया है. उन्होंने कहा, ‘‘मैंने केंद्रीय मंत्रियों गिरिराज सिंह और नितिन गडकरी से मुलाकात की और अंबासा से चावमानु और गोविंदाबाड़ी तक संपर्क में सुधार के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की है. यह सच है कि सड़क की अभी तक मरम्मत नहीं की गई है.''
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
GST Slab में बदलाव से लोगों को कितनी राहत? Ground Report से समझिए क्या-क्या होगा सस्ता?