स्टारलिंक को भारत में उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवा शुरू करने की अनुमति

भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि उसने ‘स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशंस’ को भारत में ‘स्टारलिंक जेन1 कॉन्स्टेलेशन’ क्षमता के प्रावधान को सक्षम करने की मंजूरी दे दी है.

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  • भारत के अंतरिक्ष नियामक इन-स्पेस ने एलन मस्क की स्टारलिंक को देश में उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवा देने का लाइसेंस प्रदान किया है.
  • स्टारलिंक 2022 से ही वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने के लिए भारतीय बाजार पर नजर गड़ाए हुए थी.
  • स्टारलिंक पिछले महीने, यूटेलसैट वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस के बाद भारत में उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) से लाइसेंस प्राप्त करने वाली तीसरी कंपनी बन गई
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भारत के अंतरिक्ष नियामक इन-स्पेस ने अरबपति उद्योगपति एलन मस्क की स्टारलिंक को देश में उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने का लाइसेंस प्रदान किया है. भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) ने बयान में कहा कि इन-स्पेस ने ‘मेसर्स स्टारलिंक सैटेलाइट कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड' को ‘लो अर्थ ऑर्बिट' (निचली कक्षा के) उपग्रहों के समूह यानी ‘स्टारलिंक जेन1' की व्यवस्था करने को मंजूरी प्रदान की है. इससे एसएससीपीएल भारत में उपग्रह संचार सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हो सकेगी. यह सेवा मंजूरी आठ अप्रैल से पांच साल की अवधि के लिए या ‘जनरेशन 1' समूह के परिचालन जीवन की समाप्ति तक, जो भी पहले हो, के लिए वैध है.

सेवाओं का क्रियान्वयन निर्धारित नियामकीय प्रावधानों और संबंधित सरकारी विभागों से अपेक्षित मंजूरी, अनुमोदन और लाइसेंस के अधीन है. ‘स्टारलिंक जेन1 कॉन्स्टेलेशन' एक वैश्विक मंडल है जिसमें 4,408 उपग्रह 540 किलोमीटर से 570 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी का चक्कर लगा रहे हैं. यह भारत में लगभग 600 गीगावाट प्रति सेंकंड ‘जीबीपीएस' की क्षमता प्रदान करने में सक्षम है. स्टारलिंक 2022 से ही वाणिज्यिक परिचालन शुरू करने के लिए भारतीय बाजार पर नजर गड़ाए हुए थी.

स्टारलिंक पिछले महीने, यूटेलसैट वनवेब और जियो सैटेलाइट कम्युनिकेशंस के बाद भारत में उपग्रह आधारित इंटरनेट सेवाएं प्रदान करने के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) से लाइसेंस प्राप्त करने वाली तीसरी कंपनी बन गई. हालांकि, जिन कंपनियों को लाइसेंस मिल चुका है, उन्हें वाणिज्यिक उपग्रह संचार स्पेक्ट्रम के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा, क्योंकि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने हाल ही में मूल्य निर्धारण और नियम व शर्तों पर अपनी सिफारिशें सरकार को विचार करने के लिए भेजी हैं. स्पेक्ट्रम के आवंटन के बाद कंपनियां अपनी सेवाएं शुरू कर सकेंगी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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