मुश्किल वक्त में पड़ोसी के साथ... चक्रवात के बाद श्रीलंका की मदद के लिए भारतीय सेनाओं ने झोंकी ताकत

भारत की ओर से नेबर्स फर्स्‍ट और वसुधैव कुटंबकम की अटूट प्रतिबद्धता एक बार देखने को मिली है. वायुसेना के हेलीकॉप्टर बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने में लगे हैं तो वहीं सेना और नौसेना मिलकर इंजीनियरिंग, चिकित्सा और राहत कार्यों को मिलकर आगे बढ़ा रही है.

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  • भारत ने चक्रवात दित्वा के बाद श्रीलंका को ऑपरेशन सागर बंधु के तहत मानवीय सहायता पहुंचा रहा है.
  • सेना की इंजीनियर टास्क फोर्स जाफना में क्षतिग्रस्त पुल की पुनः स्थापना में सक्रिय रूप से लगी है.
  • वायुसेना के हेलीकॉप्टर बाढ़ प्रभावित लोगों को बचाने और राहत कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं.
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नई दिल्‍ली:

भारत अपने मुश्किल में फंसे पड़ोसियों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहता है. एक बार फिर ऐसा ही देखने को मिला है, जब चक्रवात दित्‍वा के बाद श्रीलंका की मदद के लिए भारत ने अपना हाथ बढ़ाया. तूफान से प्रभावित श्रीलंका के लिए ऑपरेशन सागर बंधु के तहत भारत ने मानवीय सहायता बढ़ा दी है. चक्रवात दित्वा के बाद थल सेना , वायुसेना और नौसेना मिलकर श्रीलंका में जिंदगी पटरी पर लाने में लगे हैं.

भारत की ओर से नेबर्स फर्स्‍ट और वसुधैव कुटंबकम की अटूट प्रतिबद्धता एक बार देखने को मिली है. वायुसेना के हेलीकॉप्टर बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने में लगे हैं तो वहीं सेना और नौसेना मिलकर इंजीनियरिंग, चिकित्सा और राहत कार्यों को मिलकर आगे बढ़ा रही है.

सेना की इंजीनियर टास्क फोर्स भी जुटी

सेना की इंजीनियर टास्क फोर्स श्रीलंका की रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी के साथ मिलकर जाफना में क्षतिग्रस्त पुलियामपोक्कनै पुल के डि-लॉन्चिंग और पुन: स्थापना के कामों में जुटी है. इसे 10 दिसंबर तक पूरा करने और शनिवार दोपहर तक पहला 'बेली ब्रिज' लॉन्च करने की योजना है. जाफना में 120 फुट डबल लेन पुल निर्माण के लिए 70% सामग्री स्थल पर पहुंच चुकी है और बाकी बची सामग्री भी बुधवार शाम तक पहुंच जाएगी.

चिलाव में अगले 48 घंटों में पियर निर्माण शुरू होने की संभावना है, जहां एक पूरा बेली ब्रिज सेट पहुंच चुका है और चौथे सेट की लोडिंग पठानकोट से जल्द श्रीलंका पहुंच जाएगी.

ऑपरेशन में आई तेजी 

तूफान प्रभावित लोगों की मदद के लिए आधुनिक स्वदेशी तकनीक ड्रोन, सॉनार-आधारित LRFs और UGVs का उपयोग दोनों स्थलों पर रेकी के लिए किया जा रहा है, जिससे ऑपेरशन में तेजी आई हैं. इसी दौरान वहां पर स्थापित पैरा फील्ड हॉस्पिटल अब तक 3,338 रोगियों का उपचार कर चुका है. महज 08 दिसंबर को 1,128 मरीजों, 73 छोटे तथा 4 बड़े ऑपरेशन किए गए, जिससे स्थानीय लोगों से काफी सराहना मिल रही है.

इसी तरह नौसेना ने मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए आईएनएस घड़ियाल सहित चार और युद्धपोत तैनात किए हैं, जबकि विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत , आईएनएस उदयगिरि और आईएनएस सुकन्या पहले ही राहत और हेली-बोर्न ऑपेरशन में लगे हैं.

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नौसेना के तीन लैंडिंग क्राफ्ट यूटिलिटी 7 दिसंबर को कोलंबो पहुंचकर आवश्यक सामग्री सौंप चुके हैं. आईएनएस घड़ियाल राहत सामग्री लेकर को त्रिंकोमाली पहुंच चुका है, जिससे कुल करीब 1000 टन राहत सामग्री श्रीलंका को प्रदान की जा रही है. साफ है वहां राहत और पुर्नवास के लिए भारतीय सेना के तीनों अंगों युद्ध स्तर पर जुटे है.

समय पर सहायता से श्रीलंका में लोगों का जीवन पटरी पर लाने में मदद मिल रही है. साथ ही भारत और श्रीलंका के सैकड़ों सालों के संबंधों को नए सिरे से मजबूत करने का मौका भी मिल रहा है.

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