आस्था पर भारी भगदड़? जानिए हाल के दिनों में कहां-कहां धर्मिक आयोजन में लोगों की गई जान

पुरी की ताजा त्रासदी और अन्य हादसे हमें चेतावनी देते हैं कि आस्था के उत्सव को सुरक्षित बनाना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है. सरकार, आयोजकों और समाज को मिलकर ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जो भक्तों की सुरक्षा सुनिश्चित करे.

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नई दिल्ली:

भारत में धार्मिक आयोजन आस्था और उत्सव का प्रतीक हैं, लेकिन इनमें बार-बार होने वाली भगदड़ की घटनाएं कई सवाल खड़े करते हैं. आज, रविवार 29 जून 2025 को पुरी में विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान मची भगदड़ ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्थाओं की खामियों को उजागर किया है. इस हादसे में कई भक्त घायल हुए, और प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, संकरे रास्तों, भीड़ प्रबंधन की कमी और समन्वय के अभाव ने स्थिति को बेकाबू कर दिया. 

प्रयागराज में भगदड़ में हुई थी कई लोगों की मौत

29 जनवरी 2025 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कुंभ मेले के दौरान भगदड़ ने कई लोगों की जान ले ली थी. संगम तट पर स्नान के लिए उमड़ी लाखों की भीड़ में संकरी गलियों और अपर्याप्त सुरक्षा इंतजामों ने हादसे को जन्म दिया था.

तिरुमाला में भी मच गई थी भगदड़

8 जनवरी 2025 को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम मंदिर में एकादशी दर्शन के लिए टोकन वितरण के दौरान भगदड़ मच गई. इस हादसे में छह लोगों की मौत हो गई थी और 40 से अधिक घायल हुए थे. अधिकारियों ने सीमित टोकन काउंटर और भीड़ नियंत्रण की कमी को इसका प्रमुख कारण बताया था. 

बिहार के जहानाबाद में भी हुई थी घटना

11 अगस्त 2024 को बिहार के जहानाबाद में एक स्थानीय धार्मिक मेले में भगदड़ ने कई भक्तों की मौत हुई थी. एक संकरे रास्ते पर हजारों लोगों के जमा होने और आपातकालीन निकास की अनुपस्थिति के कारण यह घटना हुई थी. 

हाथरस में 121 लोगों की हुई थी मौत

2 जुलाई 2024 को उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक सत्संग के दौरान मची भगदड़ ने 121 लोगों की जान ले ली, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे. इस आयोजन में 80,000 लोगों की अनुमति थी लेकिन 2.5 लाख लोग जमा हुए थे जिससे स्थिति अनियंत्रित हो गई.  31 मार्च 2023 को मध्य प्रदेश के इंदौर में बेलेश्वर महादेव मंदिर में नवरात्रि के दौरान एक संकरे मंच के ढहने से भगदड़ मच गई, जिसमें कई भक्त घायल हुए थे.  

इन हादसों के पीछे कई कारण हैं. पहला, आयोजकों द्वारा भीड़ के आकार का सही अनुमान न लगाना. दूसरा, सुरक्षा बलों और स्थानीय प्रशासन के बीच तालमेल की कमी. तीसरा, आपातकालीन निकास और तत्काल चिकित्सा सुविधाओं का अभाव. इसके अलावा, भक्तों में उत्साह और जल्दबाजी भी कई बार स्थिति को बिगाड़ देती है.  पुरी की घटना में भी यही देखने को मिला, जहां रथ को छूने की होड़ और संकरे रास्तों के कारण घटना हुई.

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