प्रदर्शन कर रहे एसएससी छात्रों के साथ दुर्व्यवहार के खिलाफ चंद्रशेखर आजाद ने उठाई आवाज

एसएससी के बच्चों की बहुत सारी मांगे हैं. सबसे बड़ी मांग है कि परीक्षा में सुधार हो. परीक्षा में जो अव्यवस्था है उसे दूर किया जाए. एक दो मिनट की देरी होने पर आप परीक्षा नहीं देने देते हैं लेकिन एक दिन पहले कई बार एग्जाम कैंसिल कर देते हैं.

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(फाइल फोटो)
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  • दिल्ली के जंतर मंतर पर एसएससी के छात्रों के प्रदर्शन के दौरान उनके साथ लाठीचार्ज और दुर्व्यवहार हुआ है
  • चंद्रशेखर आज़ाद ने संसद भवन में तख्ती लेकर एसएससी छात्रों के साथ हुई हिंसा की निंदा की है
  • छात्रों की प्रमुख मांग परीक्षा व्यवस्था में सुधार और परीक्षा कैंसिल होने की समस्याओं का समाधान है
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दिल्ली के जंतर मंतर पर एसएससी के छात्र प्रदर्शन करने आए थे उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ. उनको पीटा गया. लाठियां मारी गई. इस मुद्दे पर चंद्रशेखर आज़ाद संसद भवन में तख्ती लेकर पहुंचे. दिल्ली के जंतर मंतर पर जो छात्र प्रदर्शन करने आए थे उनके साथ जिस तरह से लाठियां से पीटा गया है वह गलत है. मैं बेरोजगारी के दर्द को समझता हूं. मुझे पता है आज युवाओं के पास रोजगार नहीं है न गवर्नमेंट सेक्टर में और ना ही प्राइवेट सेक्टर में.

इसका जवाब शिक्षा मंत्री और एसएससी को देना चाहिए कि अपनी मांग को लेकर आते युवाओं को क्यों पीटा जाता है. हक की बात करने आए बच्चों को पीट कर क्या साबित करना चाहते हैं. आप समझिए गरीब मां-बाप के बच्चे पेट काटकर बच्चों को परीक्षा की तैयारी करते हैं उस पर जब लाठियां भांजते हैं तो उनके मां-बाप पर क्या बीतती होगी.

एसएससी के बच्चों की बहुत सारी मांगे हैं. सबसे बड़ी मांग है कि परीक्षा में सुधार हो. परीक्षा में जो अव्यवस्था है उसे दूर किया जाए. एक दो मिनट की देरी होने पर आप परीक्षा नहीं देने देते हैं लेकिन एक दिन पहले कई बार एग्जाम कैंसिल कर देते हैं. यह अन्याय की परीकाष्ठा है. यही बच्चे देश का भविष्य बनेंगे आप उनके साथ कैसा सलूक कर रहे हैं.

इनकी लड़ाई बहुत लंबी चलती है बहुत दूर एग्जाम सेंटर रखते हैं. बच्चे मुश्किल से पहुंचते हैं फिर आप कैंसिल कर देते हैं एग्जाम. स्टाफ सिलेक्शन कमेटी में सुधार करना चाहिए. बच्चों को पीटना नहीं चाहिए. यह बच्चे हमारा भविष्य हैं. इनके साथ अन्याय करना है यानी देश के साथ अन्याय करना है. कल जो बच्चे थाने में बंद है मैं उनको छोड़वाने के लिए गया था. 

मैं उनके लिए लाठी भी खाऊंगा उनकी आवाज बनूंगा. आप यह समझिए जिस देश में हुआ अपने ही देश में लाठियां खाएं आंदोलन करें वह युवा कैसे सशक्त हो पाएगा. मैंने एसएससी के अध्यक्ष को भी चिट्ठी लिखी है. छात्रों से मिलकर बात सुनिए जो जरूरी हो सुधार कीजिए.

जो पढ़ लिख कर आया है उसका हक है की नौकरी रोजगार करके सम्मान की जिंदगी जिए. उनके हक के लिए मैं खड़ा हूं. जो भी लड़ाई उनके लिए लड़ना पड़े मैं लडूंगा. मैं बेरोजगारी का दर्द समझता हूं. पढ़ लिखकर तमाम रिसोर्स माता पिता लगा देते हैं उनके बच्चे सड़कों को खाक जानता है समझिए उनके मां-बाप पर क्या बीती होगी.

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हम उन लाठियां को खाने के लिए हैं यह हमारे जैसे नेताओं की जिम्मेदारी हैं. हम पुलिस और उनके बीच में खड़े हैं. पहले हमारे हाथ टूटेंगे फिर उसके बाद छात्रों के साथ कुछ होगा.

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