सुशील मोदी के अनसुने किस्सेः जीवनसाथी भी मिली और राजनीति का रास्ता भी... मुंबई की ट्रेन और अटल के ऑफर का वह किस्सा

बिहार की राजनीति में सुशील कुमार मोदी का अलग रसूख रहा है. उन्होंने छात्र जीवन से राजनीति शुरू कर नेशनल पॉलिटिक्स में अलग पहचान बनाईं. इस दौरान उनका राजनीतिक सफर भी कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा.

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सुशील कुमार मोदी ने देश की राजनीति में अलग मुकाम हासिल किया.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का निधन हो गया. जानकारी के मुताबिक वो कैंसर से जूझ रहे थे. उनके निधन के साथ ही बिहार की राजनीति का एक अध्याय भी समाप्त हो गया. सुशील मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 को पटना में हुआ. बिहार की राजनीति में क़रीब पांच दशक से सुशील कुमार मोदी ने अहम भूमिका निभाई. उनके निधन पर देश के तमाम नेता दुख जाहिर कर रहे हैं. हर नेता की तरह सुशील मोदी का राजनीतिक करियर भी कई उतार-चढ़ाव से भरा हुआ रहा है. यहां जानिए उनकी जिंदगी के सबसे अहम पड़ाव-

सुशील मोदी के राजनीतिक सफर की शुरुआत

सुशील मोदी की छात्र राजनीति की शुरुआत साल 1971 में हुई. साल 1973 में पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव बने थे. 1990 में वो सक्रिय राजनीति में आए, सुशील मोदी पहली बार पटना मध्य निर्वाचन क्षेत्र से विधायक बने और उन्हें भाजपा विधायक दल का मुख्य सचेतक बनाया गया. उन्होंने 2005 में अपनी लोकसभा सदस्यता छोड़ दी और बिहार विधान परिषद के सदस्य बन गए, जिसके बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. वो 2020 में राज्यसभा के लिए चुने गए और इस साल की शुरुआत में सेवानिवृत्त हुए. वो लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद सहित सभी 4 सदनों के सदस्य रहने वाले बिहार के चंद नेताओं में से एक थे. 

बिहार के डिप्टी सीएम के अलावा संभाले कई महत्वपूर्ण पद

सुशील कुमार मोदी ने साल 2005 से 2013 तक और फिर 2017 से 2020 तक बिहार के उपमुख्यमंत्री का पद भी संभाला. कुछ वक्त राज्य के वित्त मंत्री पद का भी संभाला. इससे पहले साल 1990 में सुशील कुमार मोदी पटना केन्द्रीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ विधानसभा पहुंचे चुके थे. वहीं 1995 और 2000 का भी चुनाव वो इसी सीट से जीते. साल 2004 में उन्होंने भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता था. साल 2005 में उन्होंने संसद सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया और विधान परिषद के लिए निर्वाचित होकर उपमुख्यमंत्री बने. इस दौरान उन्होंने पार्टी में भी अलग-अलग जिम्मेदारी निभाईं. पार्टी की तरफ से उन्हें राज्यसभा भेजा गया.

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जेपी आंदोलन से प्रभावित होकर बीच में छोड़ दी थीं पढ़ाई

सुशील कुमार मोदी को भी लालू यादव और नीतीश कुमार की तरह जेपी आंदोलन की देन माना जाता है. जेपी आंदोलन प्रभावित होकर उन्होंने पोस्ट ग्रैजुएशन में पटना विश्वविद्यालय में दाख़िला लेकर पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. आपातकाल में वे 19 महीने जेल में भी रहे. साल 1977 से 1986 तक उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया. सुशील कुमार मोदी ने साल 1990 में पहली बार पटना सेंट्रल से विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद उनका राजनीतिक करियर ग्राफ ऊपर चढ़ता गया.

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चलती ट्रेन में जिस क्रिश्चियन लड़की को दिल दिया, उसी को बनाया हमसफर

सुशील मोदी ने 13 अगस्त 1986 को क्रिश्चियन लड़की जेसी जॉर्ज से शादी की. पहली बार उन्होंने जेसी जॉर्ज को चलती ट्रेन में देखा था. इस दौरान दोनों मुंबई से एक ही ट्रेन में सफर कर रहे थे. ट्रेन में मुलाकात के बाद से ही दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे. इसके बाद पसंद और मुलाकात का ये सिलसिला एक-दूजे का हमसफर बनने तक पहुंच गया. जिसके बाद दोनों ने शादी रचा ली. तब उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी को शादी के एक औपचारिक निमंत्रण पत्र भेजा था. अटल बिहारी वाजपेयी शादी के लिए खुद ही पटना गए, जहां उन्होंने सुशील मोदी से सक्रिय राजनीति में शामिल होने को कहा.

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शादी के बाद से राजनीति की दुनिया में बनाईं अलग पहचान

शादी के बंधन में बंधने के बाद सुशील कुमार मोदी ने साल 1990 में पटना केन्द्रीय विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधानसभा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने 1995 और 2000 में चुनाव जीता फिर वे पहली बार 2004 में भागलपुर से लोकसभा गए. इसके बाद से वे बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे. सुशील मोदी देश के उन नेताओं में शामिल रहे है, जो चारों सदन के सदस्य रहे हैं.

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