सपा-रालोद का यूपी विधानसभा चुनाव में गठबंधन तय, अखिलेश यादव से मिलने के बाद बोले जयंत चौधरी  

जयंत चौधरी ने NDTV से बातचीत में बताया कि सपा और रालोद का गठबंधन तय है. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सीटों को लेकर अखिलेश यादव से बातचीत आख़िरी दौर में है. जयंत चौधरी ने कहा कि बीजेपी के साथ जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता.

विज्ञापन
Read Time: 20 mins

सपा और रालोद गठबंधन के लिए सीटों के बंटवारे पर अखिलेश यादव और जयंत चौधरी में बात.

नई दिल्ली:

सपा और राष्ट्रीय लोकदल (SP-RLD alliance) के बीच यूपी विधानसभा चुनाव (UP assembly election 2022) के लिए गठबंधन तय नजर आ रहा है. मंगलवार को लखनऊ में सपा प्रमुख अखिलेश यादव और रालोद प्रमुख जयंत चौधरी की मुलाक़ात हुई. दोनों की तस्वीरों के साथ एक ट्वीट भी जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने अपने ट्विटर अकाउंट से साझा किया. इसमें लिखा था, बढ़ते कदम. NDTV से बातचीत में जयंत चौधरी ने बताया कि सपा और रालोद का गठबंधन तय है. जल्द कुछ दिनों में आधिकारिक ऐलान किया जाएगा. यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में सीटों को लेकर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) से बातचीत आख़िरी दौर में है.

जयंत चौधरी ने कहा कि बीजेपी के साथ जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता. इस ट्वीट के शेयर करने के साथ ही संकेत मिले हैं कि दोनों दलों के बीच गठबंधन का जल्द ही ऐलान हो सकता है. इससे पहले रालोद प्रमुख ने कहा था कि गठबंधन इस महीने के आखिरी तक रूप ले सकता है. उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा था कि आरएलडी और समाजवादी पार्टी के बीच गठबंधन का इस महीने के अंत तक ऐलान हो सकता है.

दोनों दलों ने इससे पहले 2017 का चुनाव विधानसभा चुनाव और 2019 का लोकसबा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था. इन दोनों दलों का गठबंधन मुस्लिम और जाट वोटों को मजबूती से पश्चिमी यूपी में एक पक्ष में लाना है. इन दोनों समुदायों के बीच रिश्ते मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान बिगड़ गए थे.

Advertisement

इसका सीधा फायदा चुनाव में बीजेपी को मिला और वर्ष 2017 में उसने प्रचंड बहुमत से यूपी में सरकार बनाई थी. किसान आंदोलन के कारण भी पश्चिमी यूपी में इन दोनों दलों का गठबंधन बेहद महत्वपूर्ण हो सकता है. 

Advertisement

जयंत चौधरी पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह के पुत्र हैं. यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में बीजेपी ने 403 सीटों में से 312 सीटों पर विजय पताका फहराई थी. पश्चिमी यूपी में उसने करीब सभी दलों का सूपड़ा ही साफ कर दिया था. जबकि सपा को 47 और बसपा को 19 सीटें मिली थीं. कांग्रेस को महज सात सीटों से ही संतोष करना पड़ा था. जबकि बाकी की सीटें अन्य दलों के खाते में गई थीं. 

Advertisement