मुसलमानों नहीं बल्कि दलितों और आदिवासियों की वजह से बढ़ रही है आबादी: सपा विधायक

सम्‍भल सीट से सपा विधायक ने कहा, ''सबसे ज्यादा आबादी दलितों और आदिवासियों के यहां बढ़ रही है, मुसलमानों के यहां नहीं. मुसलमान तो अब समझ गये हैं कि दो-तीन बच्चों से ज्यादा नहीं होने चाहिए.''

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
प्रतीकात्मक तस्वीर.
सम्भल:

समाजवादी पार्टी (SP) के विधायक इकबाल महमूद ने उत्तर प्रदेश के विधि आयोग द्वारा जनसंख्या नियंत्रण (Population Control) संबंधी मसौदा तैयार किए जाने को लेकर विवादित बयान देते हुए रविवार को आरोप लगाया कि यह कानून की आड़ में मुसलमानों पर वार करने की साजिश है और मुस्लिमों नहीं, बल्कि दलितों और आदिवासियों की वजह से आबादी बढ़ रही है.  महमूद ने रविवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिये एक कानून लाने पर विचार कर रही है.  उन्होंने आरोप लगाया, ''दरअसल यह जनसंख्या की आड़ में मुसलमानों पर वार है. भाजपा के लोग अगर समझते हैं कि देश में सिर्फ मुसलमानों की तादाद बढ़ रही है तो यह कानून संसद के अंदर आना चाहिए था ताकि यह पूरे देश में लागू होता. यह उत्तर प्रदेश में ही क्यों लाया जा रहा है?''

किसान आंदोलन पर अखिलेश यादव ने भाजपा पर साधा निशाना, बोले- किसानों के साथ धोखा हुआ

सम्‍भल सीट से सपा विधायक ने कहा, ''सबसे ज्यादा आबादी दलितों और आदिवासियों के यहां बढ़ रही है, मुसलमानों के यहां नहीं. मुसलमान तो अब समझ गये हैं कि दो-तीन बच्चों से ज्यादा नहीं होने चाहिए.'' उन्होंने कहा कि इस कानून का नतीजा भी राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) जैसा ही होगा. इसी तरह, असम में एनआरसी का असर मुसलमानों पर कम और गैर मुस्लिमों पर ज्यादा पड़ा. विधायक ने कहा कि जनसंख्या कानून का भी यही हश्र होगा. यह समझ में नहीं आता कि योगी सरकार का महज सात महीने का कार्यकाल बचा है, ऐसे में जनसंख्या कानून पर बात क्यों की जा रही है?

जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव: बनारस में सपा प्रत्याशी का पर्चा रद्द होने पर पार्टी ने लगाए धांधली के आरोप

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की बढ़ती आबादी पर अंकुश लगाने के लिये राज्य का विधि आयोग एक कानून के मसौदे पर विचार कर रहा है. आयोग के अध्यक्ष आदित्य नाथ मित्तल के मुताबिक, राज्य की जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाने के लिये आयोग ने कानून के प्रस्ताव पर काम शुरू कर दिया है. यह मसौदा दो महीने के अंदर तैयार करके राज्य सरकार को सौंप दिया जाएगा. उन्होंने ''पीटीआई-भाषा'' को बताया कि प्रस्ताव के दायरे में बहुविवाह तथा अन्य विभिन्न पहलुओं को शामिल करते हुए विचार किया जा रहा है. यह आयोग की तरफ से महज सुझाव होंगे. यह सरकार पर है कि वह इन्हें मानती है या नहीं.

Advertisement
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
America में क्यों मंगलवार को होती है Voting? जानिए क्या है History?
Topics mentioned in this article