जोधपुर की जिस जेल में सोनम वांगचुक रखा गया, उसके बाहर क्यों हुआ हाई वोल्टेज ड्रामा, पढ़ें 

पुलिस ने शख्स की पहचान  50 वर्षीय विजयपाल के रूप में की है. पुलिस की जांच में पता चला है कि विजयपाल सुजानगढ़ से ट्रेन के जरिए आया था. वो शनिवार सुबह 10:20 बजे जोधपुर सेंट्रल जेल के बाहर पहुंचा.

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जोधपुर:

लेह पुलिस ने पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार करने के बाद अब उन्हें जोधपुर की जेल में शिफ्ट कर दिया है. सोनम वांगचुक को 24 सितंबर लेह में हुई हिंसकों झड़पों के बाद गिरफ्तार किया गया है. उस झड़प के दौरान चार लोगों की मौत हो गई थी जबकि 80 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.सोनम वांगचुक को शुक्रवार रात ही जोधपुर जेल में शिफ्ट किया है. सोनम वांगचुक जोधपुर सेंट्रल जेल में शिफ्ट किए अभी एक दिन भी नहीं हुआ था कि शनिवार को इस जेल के बाहर एक शख्स ने हाई वोल्टेज ड्रामा कर दिया. इस शख्स ने भूख हड़ताल करने की धमकी भी दी है. पुलिस ने शख्स की पहचान  50 वर्षीय विजयपाल के रूप में की है. पुलिस की जांच में पता चला है कि विजयपाल सुजानगढ़ से ट्रेन के जरिए आया था. वो शनिवार सुबह 10:20 बजे जोधपुर सेंट्रल जेल के बाहर पहुंचा.  

यहां पहुंचने के बाद उसने भारत माता की जय और "सोनम वांगचुक ज़िंदाबाद" के नारे लगाते हुए अपना विरोध प्रदर्शन किया. स्थानीय पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए विजयपाल को हिरासत में ले लिया. जब उन्हें पुलिस वाहन में बैठाने की कोशिश की गई तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि अगर उन्हें जबरदस्ती हटाया गया तो वे भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे.  

इसके बाद पुलिस ने उसे एक प्राइवेट वाहन में ले जाकर जोधपुर के रतनाड़ा थाने में हिरासत में रखा है. पुलिस सूत्रों ने NDTV को बताया कि विजयपाल एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जो पहले जयपुर में प्रसिद्ध कार्यकर्ता गुरशरण सिंह चाबड़ा के साथ शराब की दुकानों के विरोध में प्रदर्शन कर चुके हैं. 

सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद जोधपुर सेंट्रल जेल और उसके आसपास की सुरक्षा को और सख्त कर दिया गया है. उन्हें शुक्रवार रात लेह-लद्दाख से एक गुप्त और त्वरित ऑपरेशन के तहत जोधपुर लाया गया. वांगचुक को लेकर विशेष विमान शुक्रवार रात 8 बजे जोधपुर पहुंचा और उन्हें भारी सुरक्षा के बीच 10 से अधिक सुरक्षा वाहनों के काफिले में शहर की केंद्रीय जेल लाया गया. 

NDTV को पुलिस सूत्रों ने बताया कि शहर के पुलिस आयुक्त स्वयं इस काफिले में शामिल थे ताकि वांगचुक को सुरक्षित जेल तक पहुंचाया जा सके. माना जा रहा है कि वांगचुक को बुलेटप्रूफ वाहन में लाया गया, जिसकी खिड़कियों पर काली फिल्म चढ़ी हुई थी ताकि पहचान न हो सके.हालांकि,  पुलिस इस बात पर चुप्पी साधे हुए है कि आखिर सोनम वांगचुक को रखने के लिए जोधपुर को क्यों चुना गया, लेकिन सुरक्षा के नजरिए से यह साफ है कि लद्दाख से हजारों किलोमीटर दूर जोधपुर में उनके समर्थकों के लिए जुटना मुश्किल होगा. जोधपुर जेल अपनी कड़ी तीन-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के लिए जानी जाती है. राजस्थान में जोधपुर और अजमेर जेल ही हाई सिक्योरिटी कैदियों को रखने के लिए सबसे भरोसेमंद मानी जाती हैं.

सोनम वांगचुक को एक अकेले सेल में रखा जाएगा, जिसकी लगातार सीसीटीवी निगरानी की जाएगी. वर्तमान में आसाराम भी इसी जेल में बंद हैं. यह जेल ब्रिटिश काल की बनी हुई है और 1980 के दशक में जब पंजाब आतंकी आंदोलन के आरोपियों को यहां लाया गया था, तब इसकी सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई थी.  फिल्म अभिनेता सलमान खान, जिन्हें काले हिरण के शिकार के मामले में दोषी ठहराया गया था, ने भी इस जेल में 5 दिन बिताए थे. इस जेल में कई राजनीतिक कैदी, आतंकवादी और इंडियन मुजाहिदीन के दोषी सदस्य, साथ ही जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता अब्दुल गनी लोन भी रह चुके हैं. इस जेल की बैरकों में लगभग 1400 कैदी बंद हैं. 
 

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