एसकेएम ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, ‘दिल्ली चलो’ आंदोलन पर सरकार की कार्रवाई की निंदा की

एसकेएम ने कहा, ‘‘आपकी सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने किसानों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर दमनकारी उपायों का सहारा लिया है और लाठीचार्ज, रबड़ की गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़े हैं, जिससे कई लोग घायल हो गए और आतंक का माहौल पैदा हो गया है.’’

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संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने किसानों के ‘दिल्ली चलो' मार्च पर कार्रवाई की निंदा करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक पत्र लिखकर फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग की है और सरकार पर किसान संगठनों के बीच ‘‘फूट'' को प्रचारित करने का आरोप लगाया है. एसकेएम ने समान विचारधारा वाले सभी किसान संगठनों से एकजुट होने और केंद्रीय ट्रेड यूनियन द्वारा बुलाए गए 16 फरवरी के ग्रामीण भारत बंद में भाग लेने का आग्रह किया.

यह बयान ऐसे वक्त आया है जब एसकेएम से अलग हुए समूह संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के नेतृत्व में ‘दिल्ली चलो' आंदोलन में शामिल लोगों को अंबाला और जींद के पास आंसू गैस के गोले का सामना करना पड़ा. प्रदर्शनकारियों ने हरियाणा पुलिस द्वारा उन्हें राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने से रोकने के लिए लगाए गए बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की.

एसकेएम ने कहा, ‘‘आपकी सरकार और भाजपा के नेतृत्व वाली हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारों ने किसानों के शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन पर दमनकारी उपायों का सहारा लिया है और लाठीचार्ज, रबड़ की गोलियां और आंसू गैस के गोले छोड़े हैं, जिससे कई लोग घायल हो गए और आतंक का माहौल पैदा हो गया है.''

एसकेएम ने सभी फसलों के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूले सीटू+50(फसल की औसत लागत से 50 फीसदी अधिक राशि) के तहत एमएसपी, फसल की खरीद की कानूनी गारंटी, कर्ज माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं और स्मार्ट मीटर नहीं होने सहित अपनी मांगों का उल्लेख किया.

संगठन ने खेती, घरेलू उपयोग और दुकानों के लिए मुफ्त 300 यूनिट बिजली, व्यापक फसल बीमा और पेंशन में बढ़ोतरी कर 10,000 रुपये प्रति माह भी मांग की. एसकेएम ने कहा, ‘‘आपके मंत्री एसकेएम के साथ बात करने में झिझक रहे हैं, जबकि किसान आंदोलन के बीच फूट दिखाने के वास्ते अन्य प्लेटफॉर्म के साथ बात करने में अधिक रुचि रखते हैं.''

बयान में कहा गया कि ‘दिल्ली चलो' आंदोलन में बाधा डालने और दमन करने की केंद्र सरकार की योजना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. एसकेएम ने कहा, ‘‘प्रशासन ने पंजाब सीमा में राजमार्गों पर कंक्रीट की बैरिकेडिंग, लोहे की कीलें, कंटीले तार लगाकर सीमाओं को बंद कर दिया है. इसने इंटरनेट को निलंबित कर दिया है, धारा 144 लगा दी है और आतंक का माहौल बना दिया है, इस प्रकार प्रदर्शनकारियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है मानो वे देश के दुश्मन हों.''

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बयान में कहा गया, ‘‘प्रधानमंत्री के रूप में हम आपसे केंद्रीय बजट और विभागीय कार्रवाइयों द्वारा सक्रिय रूप से समर्थित कृषि में कॉर्पोरेट हस्तक्षेप के गंभीर हमले के सामने किसानों की दुर्दशा पर सहानुभूति दिखाने का आग्रह करते हैं.''

एसकेएम ने कहा, ‘‘हम आपसे एसकेएम द्वारा उठाई गई मांगों पर तुरंत गौर करने और देश के किसानों की मांगों को हल करने के लिए चर्चा शुरू करने का आग्रह करते हैं.'' एक अन्य बयान में, एसकेएम ने ‘‘समान विचारधारा वाले सभी किसान संगठनों'' से इन मुद्दों पर एक आम और एकजुट संघर्ष का प्रयास करने का आह्वान किया.

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बयान में कहा गया, ‘‘हम एसकेएम के मुद्दा-आधारित एकजुट आंदोलन के रूप में उभरने की याद दिलाना चाहते हैं जिसने किसान विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी और इस प्रक्रिया में किसान एकजुट हुए और हम श्रमिकों और ट्रेड यूनियन के सक्रिय समर्थन से सरकार को पीछे धकेलने में सफल रहे.''

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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