झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने विधायक सीता सोरेन को पार्टी से 'निष्कासित' करने की घोषणा की है. पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन के हस्ताक्षर से शुक्रवार को इस संबंध में एक पत्र जारी किया गया है.
हालांकि, सीता सोरेन 19 मार्च को खुद झामुमो से इस्तीफा दे चुकी हैं. इसके बाद वह भाजपा में शामिल हुईं और उन्हें पार्टी ने दुमका लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया.
सीता सोरेन झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन की बड़ी बहू हैं. वह वर्ष 2009 में पति दुर्गा सोरेन के निधन के बाद राजनीति में आई थीं.
दुमका के जामा विधानसभा क्षेत्र से वह तीन बार विधायक निर्वाचित हो चुकी हैं. वह हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और उनके सीएम पद से इस्तीफे के बाद चंपई सोरेन के नेतृत्व में बनी सरकार में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज चल रही थीं और अंततः 19 मार्च को उन्होंने झामुमो छोड़कर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया था.
उन्होंने पार्टी के अध्यक्ष शिबू सोरेन को लिखे पत्र में कहा था, "मेरे और मेरे परिवार के खिलाफ भी एक गहरी साजिश रची जा रही है. मैं अत्यंत दुःखी हूं. मैंने यह दृढ़ निश्चय किया है कि मुझे झारखंड मुक्ति मोर्चा और इस परिवार को छोड़ना होगा. अतः मैं अपनी प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रही हूं."
माना जा रहा है कि सीता सोरेन के पार्टी छोड़ने और दुमका सीट से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरने के बावजूद झारखंड मुक्ति मोर्चा के शीर्ष नेतृत्व को भरोसा था कि वह अपने 'घर' लौट आएंगी.
सीता सोरेन के देवर और झारखंड सरकार के मंत्री बसंत सोरेन ने पिछले दिनों बयान दिया था कि भाभी जी का भाजपा से मोहभंग हो चुका है और वह घर लौटना चाहती हैं.
उन्होंने कहा था, ''17 तारीख नामांकन वापसी की आखिरी तारीख है. देखते रहिए क्या होता है.''
हालांकि, सीता सोरेन ने बसंत सोरेन के इस बयान का तुरंत खंडन किया था और प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि वह भाजपा में खुश हैं. बसंत सोरेन गलतबयानी कर रहे हैं और खुद भाजपा में आना चाहते हैं.
बहरहाल, 17 मई का दिन गुजरने के बाद झामुमो ने सीता सोरेन को निकालने का ऐलान किया है.
शिबू सोरेन की ओर से सीता सोरेन को संबोधित पत्र में लिखा गया है, ''आपने पार्टी के वरीय नेताओं पर गंभीर एवं आधारहीन आरोप लगाए हैं. आपको पार्टी के सभी पदों से मुक्त करते हुए प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित किया जाता है.''