विनीता अरोड़ा (Vineeta Arora) 40 साल से एक कैस्पर्स होम (Caspers Home) की देखरेख करती हैं. जहां वो सड़क पर घूमने वाले बेसहारा कुत्तों (Street Dogs) की देखभाल करती हैं. इस कैस्पर्स होम में बेसहारा और बेघर कुत्तों को एक घर मिला है. जहां सभी परिवार की तरह रहते हैं. ये कैस्पर्स होम 2015 में खुला था. जिसके पीछे एक दर्दभरी कहानी है. दरअसल, शहर में रहने वाली विनीता अरोड़ा के पालतू कुत्ते की 2014 में ट्रक से कुचलकर मौत हो गई. इस दर्द ने उन्हें अंदर तक झकझोर दिया. तभी, उन्होंने बेघर और बेसहारा कुत्तों को एक घर देने की ठान ली. परिवार ने भी इसमें उनका साथ दिया.
विनीता अरोड़ा ने अपने कुत्ते कैस्पर्स के नाम पर ही 2015 में ये होम कैस्पर्स होम खोल दिया. यहां के कर्मचारी परिवार के सदस्य की तरह इनकी देखभाल करते हैं. इस काम में वॉलंटियर भी खूब जुड़े हैं. इसमें किसी कुत्ते के घायल होने पर उसका मौके पर जाकर उपचार किया जाता है. तत्काल राहत नहीं मिलती तो उसे कैस्पर्स होम लाया जाता है. कैस्पर्स होम चलाने वाली विनीता अरोड़ा प्रतिदिन काफी समय कुत्तों के बीच गुजारती हैं. उनका कहना है कि, "मैं 40 साल से ऐसा कर रही हूं. कुत्ते के बचाव दल के अधिकांश लोग जानवर का इलाज करते हैं और उन्हें छोड़ देते हैं, लेकिन मैं उन्हें कैस्पर्स होम में रखती हं. कभी-कभी मुझे कुत्तों के बचाव में जाने पर धमकियां मिलती हैं."
मध्य प्रदेश में GRP की बड़ी लापरवाही, शव को खुले में छोड़ा, चूहों ने कुतर डाली आंखें
बहुत कम लोग ही इन्हें गोद लेते है, ऐसे में विनीता अरोड़ा और उनके सहयोगी लोगों को जागरूक करने को एडॉप्शन कार्यक्रम (Adoption Programme) चलाते हैं. लोगों को ऐसे कुत्ते गोद लेकर उन्हें नई जिंदगी देने को प्रेरित करते हैं. लेकिन, इसके पीछे शर्त होती है कि जो इन्हें एडॉप्ट करता है, उसके घर समय-समय पर वॉलंटियर ये देखने जाते हैं कि कुत्ते को दिक्कत तो नहीं है, या छोड़ तो नहीं दिया गया. साफ बता दिया जाता है कि उसे तकलीफ न हो, चाहे तो वापस कैस्पर्स होम छोड़ दें. अगर कुत्ता गुम हो गया तो जुर्माना भी देना पड़ता है.
लाल बत्ती पर कार से कूदी महिला, शोर मचाने पर लोगों ने चालक पति को पकड़ा