- वैश्विक चांदी की कीमतें 2025 के अंत तक रिकॉर्ड ऊंचाई 84 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गईं, जिससे अस्थिरता बढ़ी.
- मोतीलाल ओसवाल की रिपोर्ट के अनुसार, चांदी की अस्थिरता आपूर्ति की कमी और वॉल्ट ड्रेन संकट से पैदा हुई है.
- चीन के नए निर्यात लाइसेंसिंग नियम 2026 से लागू होने से वैश्विक चांदी की आपूर्ति और कम होने की संभावना है.
चांदी इन दिनों कमाल कर रही है. कभी कीमत ज्यादा तो कभी कम, ये अनुमान लगा पाना मुश्किल हो गया है कि अगले ही पल भाव बढ़ेगा या गिरेगा. साल 2025 के आखिर में साधारण तेजी के बजाय अलग ही बदलाव देखने को मिल रहे हैं. जिसके बाद निवेशक ये सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि क्या 2026 में चांदी की कीमतें अचानक गिरेंगी या फिर बढ़त का नया रिकॉर्ड बनाएंगी.
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चांदी की आंख मिचौली
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को वैश्विक चांदी की कीमतें रिकॉर्ड 84 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गईं थीं, जिससे अस्थिरता बखूबी देखने को मिली. भारी तेजी के बावजूद बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता रहा. चांदी की कीमते अपने ऑलटाइम हाई 2,33,311 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गईं और दिन का न्यूनतम स्तर 2,33,279 रुपये रहा.
स्ट्रक्चरल ट्रांसफोर्मेशन: मोतीलाल ओसवाल
मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह अस्थिरता अचानक नहीं बल्कि सालों से चली आ रही आपूर्ति की कमी की वजह से पैदा हुई. रिपोर्ट में 2025 के अंत में कॉमेक्स में "वॉल्ट ड्रेन संकट" का जिक्र किया गया है, जहां रजिस्टर्ड भंडार का 60% सिर्फ चार दिनों में डिलीवरी किए जाने का दावा किया गया था. दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनर चीन के 1 जनवरी, 2026 से नए निर्यात लाइसेंसिंग नियम लागू करने के साथ, वैश्विक आपूर्ति में और कमी आने की आशंका है.
मोतीलाल ओसवाल ने "गिरावट पर खरीदारी" का रुख अपनाते हुए 2,46,000 रुपये प्रति किलो का लक्ष्य और 77 डॉलर प्रति औंस का ग्लोबल प्राइस टारगेट निर्धारित किया है.
2026 में चांदी बढ़ेगी या घटेगी?
तेजी के रुझान को आगे बढ़ाते हुए, 'रिच डैड पुअर डैड' के लेखक रॉबर्ट कियोसाकी का मानना है कि तेजी अभी शुरू ही हुई है. उन्होंने 2026 में चांदी की कीमत 70 से 200 डॉलर तक पहुंचने भी संभावना जताई. निवेशकों से अपील करते हुए कहा कि अभी भी खरीदने का समय है.
केडिया एडवाइजरी ने भी चांदी को स्वच्छ ऊर्जा, सौर ऊर्जा और डेटा केंद्रों के लिए एक अहम "डिजिटल युग की धातु" मानते हुए, अपना लॉन्ग प्राइस टारगेट बढ़ाकर 3,00,000 रुपये कर दिया है. हालांकि इन ऊंचाइयों तक पहुंचने का रास्ता चुनौतीपूर्ण हो सकता है. केडिया एडवाइजरी ने संभावित 'फ्लैश क्रैश' की आशंका भी जताई. उन्होंने कहा कि 28% से 30% तक की गिरावट से इनकार नहीं किया जा सकता, खासकर तब, अगर ईटीएफ-आधारित मांग कमजोर हो जाती है.
क्या चांदी 130 डॉलर प्रति औंस पहुंच सकती है?
इन्वेस्टिंगन्यूज़ डॉट कॉम के मुताबिक, फर्स्ट मैजेस्टिक के सीईओ कीथ न्यूमेयर ने सुझाव दिया है कि चांदी की कीमत 100 डॉलर या यहां तक कि 130 डॉलर प्रति औंस तक भी पहुंच सकती है. हालांकि आपूर्ति संबंधी बाधाएं बनी रहने की स्थिति में 100 डॉलर का लक्ष्य यथार्थवादी बना हुआ है, विश्लेषक तुरंत अधिक मामूली लक्ष्यों पर विचार कर रहे हैं.













