- कर्नाटक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच पद को लेकर राजनीतिक खींचतान जारी है
- डीके शिवकुमार का दावा है कि मई 2023 में उन्हें ढाई साल बाद मुख्यमंत्री बनाने का वचन दिया गया था
- सिद्धारमैया कर्नाटक के सबसे लंबे समय तक CM बने रहने का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए 39 दिन और पद पर रहना चाहते हैं
कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद को लेकर सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच खींचतान जारी है. हालाकि कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक फ़िलहाल सिद्धारमैया की कुर्सी को ख़तरा नहीं है. डीके शिवकुमार को थोड़ा और इंतज़ार करने को कहा जा सकता है. इसको लेकर दिसंबर के पहले हफ्ते में दोनों नेताओं को दिल्ली बुलाया कर कांग्रेस नेतृत्व एकजुटता का संदेश देने की कोशिश कर सकता है. कुर्सी की इस लड़ाई के पीछे एक रिकॉर्ड और एक वचन की दिलचस्प कहानी है. दरअसल, ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सीएम सिद्धारमैया कैबिनेट में फेरबदल करना चाहते हैं तो वहीं डीके शिवकुमार चाहते हैं कि "ढाई–ढाई साल के सत्ता बंटवारे के फार्मूले" के तहत उन्हें सीएम बनाया जाए. डीके शिवकुमार के करीबियों का दावा है कि मई 2023 में जब सिद्धारमैया को सीएम बनाया जा रहा था तब ढाई साल के बाद उनकी जगह डीके को सीएम बनाने का वचन दिया गया था.
इसकी तरफ़ इशारा करते हुए एक दिन पहले डीके शिवकुमार ने "वचन निभाने" को लेकर सोशल मीडिया पर एक सांकेतिक पोस्ट भी किया. लेकिन सिद्धारमैया को उनकी मर्जी के बिना पद से हटाना आसान नहीं है. हालांकि डीके के दबाव में सिद्धारमैया को मंत्रिमंडल में बड़े फेरबदल को भी रोका जा सकता है.
सिद्धारमैया के पक्ष में फैक्टर: सिद्धारमैया कर्नाटक में ओबीसी समाज के कद्दावर नेता हैं. फ़िलहाल कांग्रेस की तीन राज्यों में सरकार है जिनमें से सिद्धारमैया इकलौते ओबीसी सीएम हैं. सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी जिस तरह ओबीसी समाज को साधने की कोशिश कर रहे हैं ऐसे में वो नहीं चाहते कि सिद्धारमैया को पद से हटाया जाए. इसके अलावा सूत्रों के मुताबिक सिद्धारमैया को कर्नाटक में कांग्रेस के 138 विधायकों में से 100 से ज़्यादा विधायकों का समर्थन हासिल है.हालांकि, सिद्धारमैया की बढ़ती उम्र उनकी सबसे बड़ी चुनौती है. 77 साल के सिद्धारमैया 2028 में होने वाले कर्नाटक के अगले विधानसभा चुनाव तक करीब 80 साल के हो जाएंगे. इसीलिए उनकी जगह शिवकुमार का दावा मजबूत है.
डीके का दावा और कमजोरी: 2023 में हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की बंपर जीत में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में डीके शिवकुमार की अहम भूमिका थी. उन्हें डिप्टी सीएम का पद मिला और तबसे उनके खेमे के लोग दावा करते रहे कि ढाई साल बाद डीके सीएम बनेंगे. डीके शिवकुमार दबाव तो बना रहे हैं लेकिन उनके पास बग़ावत करने का विकल्प नहीं है. डिप्टी सीएम रहते डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश लोकसभा चुनाव हार गए. डीके की जाति वोक्कलिगा वोटरों पर जेडीएस की पकड़ मजबूत मानी जाती है.
रिकॉर्ड बनाने के लिए सिद्धारमैया को चाहिए और 39 दिन!
सिद्धारमैया चाहते हैं कि वो कुछ और समय तक सीएम पद पर बने रहें. बताया जाता है कि सिद्धारमैया कर्नाटक में सबसे लंबे समय तक सीएम बने रहने का देवराज उर्स के रिकॉर्ड को तोड़ना चाहते हैं. उर्स दो कार्यकालों में 2792 दिनों तक कर्नाटक के सीएम पद पर रहे. वहीं सिद्धारमैया को सीएम पद पर 2753 दिन हो चुके हैं. यानी उर्स से आगे निकलने के लिए सिद्धारमैया को 39 दिन और चाहिए.
माना जा रहा है कि यही वजह है कि सिद्धारमैया बतौर सीएम राज्य में अगला बजट पेश करना चाहते हैं जो अगले साल की शुरुआत में होगा. अगर पार्टी आलाकमान इसके लिए तैयार हो जाता है तो फिर सिद्धारमैया अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों यानी अप्रैल–मई तक सीएम बने रह सकते हैं. सूत्रों का कहना है इसके बाद सिद्धारमैया को राज्यसभा सांसद बना कर कांग्रेस दिल्ली में उन्हें एडजस्ट कर सकती है.
ऐसे में डीके शिवकुमार को थोड़ा और इंतज़ार करने को कहा जा सकता है. इस घटनाक्रम से डीके को ये फ़ायदा हुआ है कि मई 2023 में बंद कमरे में हुई “पॉवर शेयरिंग” से जुड़ा वचन अब सार्वजनिक हो चुका है. उनके गुट द्वारा दबाव बनाने की कोशिश को पार्टी आलाकमान ने अब तक अनुशासनहीनता नहीं माना है. यानी "वचन" वाली बात बेबुनियाद तो कतई नहीं है. ऐसे में देर सबेर उनका नम्बर आएगा ही ! लेकिन क्या तब तक वो सब्र दिखाएँगे और क्या कुछ महीनों के बाद सिद्धारमैया सीएम की कुर्सी छोड़ दिल्ली आने को तैयार होंगे ? क्या दोनों की लड़ाई में किसी तीसरे की किस्मत चमकेगी ?













