नवाब मलिक, अनिल देशमुख को वोट देने की अनुमति नहीं देना उनके अधिकारों को ‘रौंदने’ के समान : शिवसेना

‘सामना’ के संपादकीय में कहा गया है कि देशमुख और मलिक की विधानसभा सदस्यता अभी बरकरार है और उन्हें सभी आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था के साथ मतदान के वास्ते एक घंटे के लिए लाया जा सकता था.

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शिवसेना का वार(फाइल फोटो)
मुंबई:

शिवसेना ने सोमवार को दावा किया कि जेल में बंद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) विधायकों नवाब मलिक और अनिल देशमुख को राज्य विधान परिषद चुनाव में वोट देने की अनमुति नहीं दिया जाना इन दोनों निर्वाचित प्रतिनिधियों के अधिकारों को रौंदने के समान है. शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना' के एक संपादकीय में कहा गया है कि इस महीने की शुरुआत में गंभीर बीमारियों से जूझ रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो विधायकों को महाराष्ट्र से राज्यसभा चुनाव के दौरान वोट देने के लिए एम्बुलेंस में लाया गया था. शिवसेना ने इसे भाजपा की  'भेदभाव की राजनीति' करार दिया.

धन शोधन के अलग-अलग मामलों में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तार किए गए महाराष्ट्र के मंत्री मलिक और राज्य के पूर्व गृह मंत्री देशमुख दोनों फिलहाल जेल में हैं. बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में मतदान करने के लिए जेल से अस्थायी रिहाई का अनुरोध करने वाली दोनों नेताओं की याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दी थीं. विधान परिषद की 10 सीटों के चुनाव के लिए सोमवार को मतदान हो रहा है. सत्तारूढ़ सहयोगी दलों शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस ने दो-दो उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं, जबकि भाजपा के पांच उम्मीदवार मैदान में हैं. राज्य की छह सीट पर 10 जून को हुए राज्यसभा चुनाव में शिवसेना के दूसरे उम्मीदवार भाजपा से हार गए थे.

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‘सामना' के संपादकीय में कहा गया है कि देशमुख और मलिक की विधानसभा सदस्यता अभी बरकरार है और उन्हें सभी आवश्यक सुरक्षा व्यवस्था के साथ मतदान के वास्ते एक घंटे के लिए लाया जा सकता था.

मराठी प्रकाशन ने दावा किया कि उन्हें वोट देने के अधिकार से वंचित करना दो निर्वाचित प्रतिनिधियों के अधिकारों को कुचलने के समान है. उन्होंने कहा कि यह ‘‘भेदभाव की राजनीति'' है. प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में इन दोनों नेताओं की याचिकाओं का विरोध किया था, जिस पर शिवसेना ने कहा कि ‘‘केंद्रीय एजेंसी उच्चतम न्यायालय नहीं है''.

पार्टी ने कहा, ‘‘लेकिन मुक्ता तिलक और लक्ष्मण जगताप (दोनों भाजपा से) गंभीर बीमारी की स्थिति में होने के बावजूद (राज्यसभा चुनाव में) मतदान के लिए लाए गए… जब राजनीतिक स्वार्थ की बात आती है, तो मानवता को कुचल दिया जाता है और उन्हें (तिलक और जपताप को) मतदान के लिए स्ट्रेचर पर लाया जाता है। भाजपा अपने राजनीतिक लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकती है.''

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संपादकीय में कहा गया है, ‘‘केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है, लेकिन अगर अदालत भी होश खो देगी तो क्या होगा?''

शिवसेना ने कहा कि दूसरी ओर, जेल की सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को एक महीने की पैरोल दी गई थी। उसने कहा कि उसे पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले भी इसी तरह की रियायत दी गई थी.
 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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