कोरोना महामारी : गंगा में बहते शवों के बहाने RJD नेता शिवानंद तिवारी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर किया 'वार'

शिवानंद ने लिखा-आखिर लोग क्यों अपने मृत परिजनों के शवों का दाह संस्कार करने के बदले उन्हें नदियों में प्रवाहित कर रहे हैं ! इसकी दो ही वजहें हो सकती हैं. या तो श्मशानों में जगह नहीं मिल रही या दाह संस्कार करने का सामर्थ्य उनमें नहीं है.

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पटना:

राष्‍ट्रीय जनता दल (RJP)के वरिष्‍ठ नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tivary) ने कोरोना महामारी के इस दौर में गंगा नदी में तैरते शवों के मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा है. शिवानंद ने फेसबुक पोस्‍ट में लिखा, 'गंगा में तैरते हुए शवों का दृश्य देखकर शर्म से सिर झुक जाता है. आखिर लोग क्यों अपने मृत परिजनों के शवों का दाह संस्कार करने के बदले उन्हें नदियों में प्रवाहित कर दे रहे हैं ! इसकी दो ही वजहें हो सकती हैं. या तो श्मशानों में जगह नहीं मिल रही है या दाह संस्कार करने का सामर्थ्य उनमें नहीं है. यह दोनों ही वजहें किसी भी सरकार और समाज को शर्मसार करने के लिए पर्याप्त हैं.
 हमारी मौजूदा सरकार देश को विश्व गुरु का दर्जा दिलाने का दावा करती रही है. आज हालत यह है कि दुनिया हमसे भयभीत है. लोग डरे हुये हैं कि महामारी का तीसरा दौर कहीं यहीं से न शुरू हो. 

उन्‍होंने लिखा, 'सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है कि हम दुनिया के अन्य मुल्कों के मुकाबले ज्यादा तेजी के साथ टीकाकारण कर रहे हैं. लेकिन आबादी के अनुपात में देखें तो अब तक मात्र ढाई प्रतिशत आबादी का ही टीका करण हमारे देश में हो पाया है जबकि साबित हो चुका है कि इस महामारी से रक्षा का एकमात्र उपाय अधिक से अधिक आबादी का टीकाकरण करना ही है. लेकिन टीकाकरण की सरकार की नीति निराशा पैदा करनेवाली है. अभी दो ढाई महीना पहले सरकार ने संसद से बजट पास करवाया. बजट में 35 हजार करोड़ रूपये की राशि टीककरण के मद में इस आश्वासन के साथ आवंटित किया गया था कि इस मद में राशि की कमी नहीं होने दी जाएगी. आवंटित राशि और सरकार के आश्वासन से स्पष्ट था कि देश केतमाम नागरिकों का टीकाकरण सरकार अपने खर्च से कराएगी. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस मद में जितनी राशि का आवंटन बजट में है, उतनी ही राशि में देश के तमाम नागरिकों का मुफ्त टीकाकरण हो जाता. ऐसा कर सरकार नागरिकों पर कोई उपकार नहीं करती, बल्कि अपने दायित्व का ही अनुपालन करती. अब तक हमारे देश में यही परंपरा हमारी पूर्ववर्ती सरकारों ने बनाई है. लेकिन मोदी सरकार ने 48 बरस से ऊपर वाली आबादी के टीकाकरण का दायित्व अपने ऊपर लेने के बाद बाकी आबादी के टीकाकरण के दायित्व से अपना पल्ला झाड़कर अपने जनविरोधी चरित्र का ही परिचय दिया है. '

शिवानंद के अनुसार, अगर आबादी का वर्गीकरण किया जाए तो 48 वर्ष से ऊपर वालों की आबादी हमारे देश में लगभग तीस करोड़ है. जबकि अठारह से अड़तालीस वर्ष के बीच के उम्र वालों की आबादी साठ करोड़ से ऊपर है. इस प्रकार देखा जाए तो मोदी सरकार देश की बड़ी आबादी के टीकाकरण के अपने दायित्व से मुकर गई है. सरकार के इस कदम से उसका चरित्र ही उजागर हुआ है. 

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