पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने बड़ा कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है. इसके अलावा भी भारत ने कई कदम उठाए हैं, इसमें पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा जारी न करने और दूतावास में कर्मचारियों की संख्या कम करना शामिल है. पाकिस्तान इससे तिलमिलाया हुआ है. पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की एक बैठक गुरुवार को प्रधानमंत्री शाहनवाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई. इसमें भी पाकिस्तान ने करीब-करीब वही कदम उठाए हैं, जो भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में उठाया है. उसने शिमला समझौते को स्थगति करने की धमकी दी है. आइए जानते हैं कि यह शिमला समझौता आखिर है क्या.
भारत-पाकिस्तान ने कब किया था शिमला समझौता
भारत ने सैन्य हस्तक्षेप कर मार्च 1971 में पूर्वी पाकिस्तान को पाकिस्तान से अलग कर दुनिया के नक्शे में बांग्लादेश नाम का एक नया देश स्थापित कर दिया था.पाकिस्तान की सेना ने बांग्लादेश में भारत की सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. भारत ने करीब 90 हजार लोगों को युद्ध बंदी बना लिया था. इनमें अधिकांश सैनिक या अर्धसैनिक बल के जवान थे. भारत ने पश्चिमी पाकिस्तान के करीब पांच हजार वर्ग मील इलाके पर भी कब्जा जमा लिया था.
किन लोगों ने दस्तखत किए थे शिमला समझौते पर
इसके करीब 16 महीने बाद हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन जुल्फिकार अली भुट्टो शिमला में मिले.दोनों नेताओं ने वहां दो जुलाई 1972 को एक समझौते पर दस्तखत किया. इस समझौते को हम 'शिमला समझौता' के नाम से जानते हैं. इस समझौते में दोनों देशों ने शांतिपूर्ण तरीकों और बातचीत के जरिए अपने मतभेदों का समाधान करने की प्रतिबद्धता जताई थी. इसका मकसद शांति बनाए रखना और रिश्ते सुधारना था.
क्या है शिमला समझौते में
इस समझौते के जरिए भारत-पाकिस्तान ने तय किया कि दोनों देश कोई भी विवाद आपसी बातचीत से सुलझाएंगे. इसमें कोई तीसरा देश या संगठन दखल नहीं देगा.
कश्मीर में भारत और पाकिस्तान के बीच की नियंत्रण रेखा को कोई भी देश एकतरफा नहीं बदलेगा. दोनों देश इसका सम्मान करेंगे.
दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ हिंसा, युद्ध या गलत प्रचार नहीं करेंगे, दोनों शांति से रहेंगे और अपने रिश्ते बेहतर बनाएंगे.
भारत ने युद्धबंदी बनाए गए पाकिस्तान के 90 हजार लोगों रिहा कर दिया और कब्जा की गई जमीन को मुक्त कर दिया. पाकिस्तान ने भी कुछ भारतीय सैनिकों को रिहा किया था.
इस समझौते ने कश्मीर के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाने से रोका. भारत की दलील रही है कि कश्मीर का मामला भारत और पाकिस्तान के बीच का है.
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