यूक्रेन में फंसे भारतीयों विशेषकर छात्रों को वापस लाने की कोशिशों के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए सरकार से लोगों को यूक्रेन से निकालने का आग्रह किया. हालांकि, यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर कांग्रेस का आधिकारिक बयान काफी हद तक कूटनीतिक और यूएन में सरकार के रुख से मेल खाता है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ वोट करने से परहेज किया था.
पार्टी में विदेश मामलों के विभाग के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने कहा, "मिंस्क और रूस-नाटो समझौते और पूर्व में बनी सहमति का सम्मान करते हुए रूस और यूक्रेन के बीच सभी मुद्दों को बातचीत के जरिये सुलझाने के लिए कूटनीतिक वार्ता के रास्ते को ईमानदारी से अपनाया जाना चाहिए.''
कांग्रेस नेता ने कहा कि रूस और यूक्रेन के बीच पैदा हुई शत्रुता और सैन्य संघर्ष दुनिया के लिए गंभीर चिंता का विषय है.
कांग्रेस ने बयान में कहा, ‘‘कांग्रेस अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए मानती है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को सैन्य संघर्ष रोकने और मानव जीवन को बचाने व संकट को बढ़ने से रोकने के लिए यथाशीघ्र शांति स्थापित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए.''
वहीं, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ प्रस्ताव के दौरान भारत के वोटिंग से दूर रहने पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी. थरूर ने कहा था, "हमारे वोटिंग में हिस्सा नहीं लेने के बाद, कई लोगों का मानना है कि भारत ने खुद को 'इतिहास के गलत पक्ष' की तरफ खड़ा किया."
थरूर के बयान पर आनंद शर्मा ने कहा कि उनके सहयोगी के विचार "व्यक्तिगत हैं" और टिप्पणी की कि कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.