- शशि थरूर ने कहा कि भारत-रूस संबंधों को किसी अन्य देश की सोच पर निर्भर नहीं होना चाहिए, वे स्वतंत्र होते हैं
- थरूर ने बताया कि रूस भारत के लिए महत्वपूर्ण है और पुतिन की यात्रा निरंतरता तथा संप्रभु स्वायत्तता का प्रतीक है
- उन्होंने पुतिन को एक अनुभवी और रणनीतिक दृष्टि वाले नेता बताया, जिनसे सीखना और सम्मान करना जरूरी है
डॉ. थरूर, डिनर कैसा रहा? राष्ट्रपति भवन में राजकीय भोज के बाद एनडीटीवी के सीईओ और एडिटर-इन-चीफ राहुल कंवल के इस सवाल का कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने दिलचस्प जवाब दिया. थरूर ने कहा, 'बहुत बढ़िया... मेरा मतलब है, एक जमाना था जब राष्ट्रपति भवन अपने खाने के लिए जाना ही नहीं जाता था. दरअसल, यहां खाने से लोग परहेज ही करते थे. वो दिन अब बीत गए. खाना बहुत ही स्वादिष्ट था.'
राहुल कंवल ने आगे पूछा, 'इस समय राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा को लेकर काफी चर्चा हो रही है, ख़ास तौर पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत-रूस संबंधों से काफी नाराज नजर आ रहे हैं. विदेशी मामलों के विशेषज्ञ के तौर पर आप इस बारे में क्या सोचते हैं?'
विपक्ष को सहमति के मुद्दों पर सरकार का साथ देना चाहिए-शशि थरूर
रूस हमारे लिए महत्वपूर्ण
थरूर बोले, 'नहीं, मुझे नहीं लगता कि हमारे रिश्ते किसी दूसरे देश की सोच पर निर्भर होने चाहिए. सच कहूं तो हर देश के रिश्ते स्वतंत्र होते हैं. आप जानते हैं, ट्रंप को इस बात की परवाह नहीं है कि हम चीन के साथ उनके संबंधों के बारे में क्या सोचते हैं और वे G2 वगैरह के बारे में ट्वीट करते रहे हैं. मुझे लगता है कि हमें उनके उस तरह के रिश्ते रखने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए, जो वे चाहते हैं और इसी तरह उन्हें भी हमारे उन देशों के साथ संबंध रखने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए, जो हमारे लिए मायने रखते हैं. रूस हमारे लिए एक महत्वपूर्ण रिश्ता रहा है और मुझे लगता है कि यह यात्रा कई मायनों में निरंतरता का प्रतीक है और साथ ही मुझे लगता है कि यह एक अशांत और खंडित दुनिया में हमारी संप्रभु स्वायत्तता की पुष्टि है.'
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राहुल कंवल ने आगे कहा, 'मुझे यकीन है कि आप यहां राष्ट्रपति भवन में कई राजकीय रात्रिभोजों में शामिल हुए होंगे. राष्ट्रपति पुतिन की उपस्थिति कैसी रही? जब पुतिन जैसा कोई व्यक्ति होता है, तो उस ऊर्जा और उपस्थिति का आपने क्या अर्थ निकाला?'
पुतिन होने का मतलब
शशि थरूर बोले, 'देखिए, मैं उनसे पहली बार 25 साल पहले मिला था. जब वे संयुक्त राष्ट्र आए थे और मैं कोफी अन्नान के साथ था. इसलिए, मैंने उन्हें एक युवा व्यक्ति के रूप में देखा है. अब स्पष्ट रूप से उनकी उम्र ज्यादा है. वे मानो एक पीढ़ी से हमारे बीच हैं और इसलिए, शायद मैं, जो आपने देखा है उससे थोड़ी अलग प्रतिक्रिया दूं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि वे अपने देश, अपनी क्षमताओं और अपनी रणनीतिक दृष्टि पर पूर्ण नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति हैं और हमें इसका सम्मान करना होगा और सीखना होगा. उन्होंने हमारे राष्ट्रपति के भोज में बहुत गर्मजोशी से बात की और उन्होंने हमारे राष्ट्रपति को शुभकामनाएं दीं और मुझे कहना होगा कि उनकी गर्मजोशी और सकारात्मक संदेश का बहुत स्वागत किया गया.'













