Sharad Purnima Importance: नवरात्रि के साथ ही शुरू हुआ 'उत्सवी माहौल' चल रहा है. दशहरे के बाद दीवाली का इंतजार है, लेकिन इससे पहले भी कई महत्वपूर्ण तिथियां आ रही हैं. इन्हीं में से एक है- शरद पूर्णिमा. हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है. इस साल 6 अक्टूबर को शारदीय पूर्णिमा है. अमावस्या या अन्य पर्वों से अलग, इसे विशेष रूप से चंद्रमा की पूजा और भक्ति के लिए जाना जाता है.
शरद पूर्णिमा को 'कोजागरी पूर्णिमा' भी कहा जाता है. इसका धार्मिक, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्व है. 'कोजागरी' का अर्थ है- 'कौन जाग रहा है?', क्योंकि इस रात मां लक्ष्मी अपने भक्तों के जागरण की परीक्षा लेती हैं.
क्या आसमान से बरसता है 'अमृत'?
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा, पृथ्वी के सबसे निकट होता है. 16 कलाओं से परिपूर्ण चंद्रमा की चांदनी को 'अमृतमयी' माना जाता है. कहा जाता है कि जड़ी-बूटियों और औषधियों को इस रात चांदनी में रखने से उनकी औषधीय शक्ति चार गुना बढ़ जाती है. खास तौर पर आयुर्वेदाचार्य वर्ष भर इस रात का इंतजार करते हैं. वे जीवनदायिनी और रोगनाशक जड़ी-बूटियों को चांदनी में रखकर उनकी शक्ति बढ़ाते हैं.
इसके अलावा शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है. ये भी एक वजह है कि शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी को प्रिय खीर का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में खाने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इस दिन खीर बनाकर देवी-देवताओं को अर्पित करना और चंद्रमा की कृपा प्राप्त करना एक प्राचीन परंपरा है.
खीर का इतना महत्व क्यों?
पद्म पुराण और स्कंद पुराण में शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने और देवी-देवताओं को अर्पित करने का उल्लेख है. खीर को शुद्धता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. इसे अर्पित करने से संपूर्ण परिवार में सुख-समृद्धि का संचार होता है. खीर में दूध और चावल के मिश्रण को अन्न और पोषण का प्रतीक माना गया है.
खीर दूध, चावल, केसर, काजू-बादाम, पिस्ता जैसी पौष्टिक चीजों से बनाई जाती है. ये सभी सामग्री हमारी सेहत के लिए वैसे भी लाभदायक ही हैं. दूध में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन जैसे तत्व होते हैं. चावल में फोलिक एसिड, विटामिन, पोटेशियम, मैग्नीशियम, फाइबर और आयरन जैसे तत्व होते हैं. इसी तरह केसर, काजू-बादाम और पिस्ता में भी हमारी सेहत के लिए फायदेमंद तत्व होते हैं. खीर पकने में काफी समय लगता है, तो इन सभी पौष्टिक चीजों के तत्व खीर में आ जाते हैं और इसके सेवन से स्वाद के साथ स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है.
खीर बनाना और अर्पित करना केवल खाना देने की क्रिया नहीं, बल्कि भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है. शास्त्रों में कहा गया है कि जो भक्त सादगी और श्रद्धा से खीर बनाकर चंद्रमा या देवी को अर्पित करता है, उसे आध्यात्मिक शांति और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है.