नई दिल्ली:
लाभ के पद के मामले में अयोग्य घोषित किए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायक कानूनी लड़ाई के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन इसके साथ ही उप चुनाव की भी तैयारी करने लगे हैं. आप ने रविवार को संकेत दिया कि यदि कोर्ट से उसे न्याय नहीं मिला तो वह फिर चुनाव लड़कर जनादेश हासिल करेगी. लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए आने वाला समय काफी चुनौती भरा साबित होने वाला है क्योंकि अगर 20 सीटों पर उपचुनाव हुए तो उसे इन सीटों को बचाने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी पड़ेगी. कांग्रेस जहां दिल्ली विधानसभा में खाता खोलने के सपने देख रही है को बीजेपी भी इस चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है. 2015 में हुए चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी और कांग्रेस का दिल्ली से पूरी तरह सफाया कर दिया था.
लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के बाद कांग्रेस पर यहां मंडरा रहे 'संकट के बादल'
आम आदमी पार्टी को 67, बीजेपी को 3 और कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं आई थी. लेकिन अब आम आदमी पार्टी में कुछ भी ठीक नहीं है. एक ओर जहां दो विधायक कपिल मिश्रा और देवेंद्र सेहरावत पार्टी से निलंबित चल रहे हैं तो दूसरी ओर जितेंद्र सिंह तोमर, आसिम अहमद खान, संदीप कुमार पार्टी के विधायक तो हैं लेकिन इनके ऊपर लगे आरोपों के बाद मंत्री पद से हटाया गया है. दूसरी ओर पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास बगावत का रुख अपनाए हुए हैं. इन सबके बीच अरविंद केजरीवाल के सामने सबको साथ रखने की भी चुनौती होगी. फिलहाल देखने वाली बात यह है कि इन 20 विधायकों के पास क्या रास्ते हैं.
वीडियो : क्या होगा इसका सियासी असर?
फिलहाल आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रपति के फैसले पर पहले दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है और न्यायपालिका को राष्ट्रपति के फैसले पर समीक्षा करने का भी अधिकार है.
लाभ के पद मामले में आम आदमी पार्टी के बाद कांग्रेस पर यहां मंडरा रहे 'संकट के बादल'
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फिलहाल आम आदमी पार्टी अब राष्ट्रपति के फैसले पर पहले दिल्ली हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है और न्यायपालिका को राष्ट्रपति के फैसले पर समीक्षा करने का भी अधिकार है.
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