देश में कोरोना के ‘आर-वैल्यू’ में सिलसिलेवार तरीके से बढोतरी; शीर्ष स्थान पर केरल, पूर्वोत्तर के राज्य

राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को कोविड-19 के 51 नये मामले सामने आए और संक्रमण की दर 0.08 रही. दिल्ली में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 554 है. प्रतिदिन मामलों में होने वाली वृद्धि और उपचाराधीन मरीजों की संख्या में खास कमी नहीं देखी जा रही है.

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आर-वैल्यू या संख्या, कोरोना वायरस के फैलने की क्षमता को प्रदर्शित करती है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

देश में कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने की रफ्तार का संकेत देने वाले ‘आर-फैक्टर' में क्रमिक रूप से वृद्धि हो रही है और इस संदर्भ में केरल तथा पूर्वोत्तर के राज्यों के शीर्ष स्थान पर रहने से महामारी के फिर से सिर उठाने के बारे में चिंता बढ़ रही है. चेन्नई के गणितीय विज्ञान संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं के विश्लेषण में कहा गया है कि देश के दो महानगरों, पुणे और दिल्ली में ‘आर-वैल्यू' एक के करीब जा रही है. आर-वैल्यू या संख्या, कोरोना वायरस के फैलने की क्षमता को प्रदर्शित करती है.

राष्ट्रीय राजधानी में गुरुवार को कोविड-19 के 51 नये मामले सामने आए और संक्रमण की दर 0.08 रही. दिल्ली में उपचाराधीन मरीजों की संख्या 554 है. प्रतिदिन मामलों में होने वाली वृद्धि और उपचाराधीन मरीजों की संख्या में खास कमी नहीं देखी जा रही है. संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं के विश्लेषण के मुताबिक, जब कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर अपने चरम पर थी, तब देश में संपूर्ण आर- वैल्यू नौ मार्च से 21 अप्रैल के बीच 1.37 रहने का अनुमान था. यह 24 अप्रैल और एक मई के बीच घट कर 1.18 रह गई तथा फिर 29 अप्रैल से सात मई के बीच 1.1 पर आ गई.

देश में नौ मई से 11 मई के बीच आर वैल्यू करीब 0.98 रहने का अनुमान जताया गया था. यह 14 मई और 30 मई के बीच घट कर 0.82 पर आ गई और 15 मई से 26 जून के बीच गिर कर 0.78 हो गयी. हालांकि, आर-वैल्यू 20 जून से सात जुलाई के बीच फिर से बढ़ कर 0.88 हो गयी और तीन जुलाई से 22 जुलाई के बीच और बढ़ कर 0.95 हो गयी. गणितीय विज्ञान संस्थान में अनुसंधान टीम का नेतृत्व करने वाले सीताभ्र सिन्हा ने कहा, ‘‘एक विश्वसनीय अनुमान पाने के लिए भारत के उपचाराधीन मरीजों की संपूर्ण संख्या में काफी उतार-चढ़ाव हो रहा है, लेकिन आंकड़े एक करीब मान (वैल्यू) रहने की ओर इशारा कर रहे हैं. आने वाले दिनों में यह ऊपर या नीचे जा सकता है.''

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आर-वैल्यू 0.95 होने का यह मतलब है कि प्रत्येक 100 संक्रमित व्यक्ति औसतन 95 अन्य लोगों को संक्रमित करेंगे. यदि आर-वैल्यू एक से कम है तो, इसका मतलब यह होगा कि नये संक्रमित लोगों की संख्या इससे पूर्व की अवधि में संक्रमित हुए लोगों की संख्या से कम होगी, जिसका मतलब है कि रोग के मामले घट रहे हैं. आर-वैल्यू जितनी कम होगी, उतनी तेजी से रोग घटेगा. इसके उलट, यदि ‘आर' एक से अधिक होगा तो हर चरण में संक्रमितों की संख्या बढ़ेगी--तकनीकी रूप से, इसे महामारी का चरण कहा जाता है. यह संख्या जितनी बड़ी होगी, महामारी आबादी में उतनी ही तेजी से फैलेगी. केरल में उपचाराधीन मरीजों की संख्या सर्वाधिक है और वहां आर वैल्यू लगातार 1.11 के करीब बनी हुई है.

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सिन्हा ने कहा, ‘‘इसलिए, ऐसा लगता है कि यह (केरल) अगले कुछ हफ्तों में इस मामले में शीर्ष पर बना रहेगा. पूर्वोत्तर में भी बहुत बुरी स्थिति बनी हुई है जहां ज्यादातर राज्यों में आर-वैल्यू एक से अधिक है.'' केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह कोविड-19 के प्रभावी प्रबंधन के लिए केरल में छह सदस्यों की एक टीम को भेजेगी, जहां कोरोना वायरस संक्रमण के दैनिक मामले अब भी बहुत ज्यादा आ रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक एस के सिंह की अगुवाई में टीम शुक्रवार को केरल पहुंचेगी और उन कुछ जिलों का दौरा करेगी जहां संक्रमण की दर सबसे ज्यादा सामने आ रही है.

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर कहा, “ केंद्र सरकार एनसीडीसी निदेशक की अगुवाई में छह सदस्यीय टीम को केरल भेज रही है. केरल में कोविड के मामले अब भी बहुत ज्यादा सामने आने के कारण टीम कोविड प्रबंधन में राज्य के जारी प्रयासों में मदद करेगी.” केरल में बुधवार को संक्रमण के 22,056 नये मामले सामने आने से कुल संक्रमितों की संख्या बढ़ कर 33,27,301 पहुंच गई, जबकि 131 और मरीजों की मौत हो जाने से अब तक 16,457 लोगों की महामारी से मौत हो चुकी है. पूर्वोत्तर में सिर्फ त्रिपुरा में आर-वैल्यू एक से कम है, जबकि मणिपुर में एक से आंशिक रूप से नीचे है. भारत के अन्य राज्यों में, उत्तराखंड में आर-वैल्यू इन दिनों एक के काफी करीब है.

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बड़े शहरों में पुणे, में आर-वैल्यू एक से अधिक जान पड़ती है जबकि दिल्ली में यह एक के करीब है. दिल्ली की स्थिति के बारे में सिन्हा ने कहा कि यदि उपचाराधीन मरीजों की संख्या स्थिर है, तो आर-वैल्यू एक है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि आर की गतिशीलता एक से अधिक हो जाती है जो इस बात की संभावना है कि आप इसे रोक सकते हैं. उदाहरण के लिए यदि उपचाराधीन मरीजों की संख्या 100 है तो भी आपके पास इसे हाथ से पूरी तरह से बाहर जाने देने से रोकने की संभावना है.'' उन्होंने कहा, ‘‘यदि यह कुछ हजार हो जाती है और आर एक से अधिक हो जाता है तब स्थिति खतरनाक है.'' पुणे में चार जुलाई से 20 जुलाई के बीच यह 0.84 रही. वहीं, बेंगलुरु में यह 17 से 23 जुलाई के बीच 0.72 पायी गयी. मुंबई में आर-वैल्यू 22 से 24 जुलाई के बीच 0.74 रही. चेन्नई में 21 से 24 जुलाई के बीच यह 0.94 रही. वहीं, कोलकाता में यह 17 से 24 जुलाई के बीच 0.86 प्रतिशत रही.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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