दिल्ली की तिहाड़ जेल में अलगाववादी नेता यासीन मलिक अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठा

रुबैया को 5 दिन बाद 13 दिसंबर को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया गया, लेकिन इसके बदले तत्कालीन वीपी सिंह सरकार को जेकेएलएफ के पांच आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा था.

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यासीन मलिक (Yasin Malik) भूख हड़ताल शुरू की
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर का अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Separatist leader Yasin Malik) दिल्ली की तिहाड़ जेल (Tihar Jail ) में भूख हड़ताल पर बैठ गया है. है. अफसरों ने शनिवार को बताया कि यासीन मलिक ने रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में शारीरिक रूप से पेश होने की मांग करने वाली याचिका दायर की थी, लेकिन सरकार से इस पर कोई जवाब नहीं मिलने पर उसने भूख हड़ताल (hunger strike) शुरू कर दी. 8 दिसंबर, 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में मलिक आरोपी है. जेल अधिकारी ने कहा कि मलिक ने शुक्रवार सुबह भूख हड़ताल शुरू की थी. सुबह उसने जेल प्रशासन के बार-बार अनुरोध के बावजूद कुछ भी खाने-पीने से इनकार कर दिया. उसकी सेहत पर नजर रखी जा रही है.

वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सीबीआई के विशेष जज के सामने पेश हुए मलिक ने इससे पहले कहा था कि वो रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होना चाहता है. मलिक ने कहा था कि 22 जुलाई तक अगर सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी, तो वह भूख हड़ताल शुरू करेगा. मलिक प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) का मुखिया है. मलिक को इस साल मई में दिल्ली की एक अदालत ने आतंकवाद का वित्तपोषण करने के मामले में दोषी ठहराया था. मलिक को कई साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी और सारी सजा एक साथ चल रही है.

मलिक को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल नंबर सात में एक अलग कोठरी में रखा गया है. एनआईए द्वारा वर्ष 2017 में दर्ज आतंकवाद की फंडिंग के मामले में मलिक को वर्ष 2019 की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था. एनआईए की विशेष अदालत ने मई में उसे सजा सुनाई थी. इससे पहले कड़ी सुरक्षा वाली तिहाड़ जेल में बंद ठग सुकेश चंद्रशेखर भी पत्नी से अतिरिक्त मुलाकात की मांग को लेकर 17 दिनों तक भूख हड़ताल पर था. चंद्रशेखर जेल नंबर छह में बंद है. रुबैया सईद का कथित तौर पर जेकेएलएफ के आतंकयों द्वारा अपहरण किया गया था.

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रुबैया को 5 दिन बाद 13 दिसंबर को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया गया, लेकिन इसके बदले तत्कालीन वीपी सिंह सरकार को जेकेएलएफ के पांच आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा था. यह मामला लंबे समय तक ठंडा पड़ा रहा, लेकिन वर्ष 2019 में मलिक की गिरफ्तारी के बाद यह मामला दोबारा शुरू हो गया. इस साल 15 जुलाई को रुबैया सईद पहली बार इस मामले में पेश हुईं और उन्होंने मलिक और तीन अन्य को अपहरणकर्ता के रूप में पहचाना. रुबैया सईद ने जज से कहा, यही वो शख्स है और उसका नाम यासीन मलिक है. उसने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने उसके आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया, तो वह मुझे मिनीबस से बाहर फेंक देगा.

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