'अधिकार की गलत भावना...सहानुभूति की कमी...' : महिला कमांडिंग अफसरों पर आर्मी अफसर की रिपोर्ट

लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने मोटे तौर पर जिन ‘चिह्नित मुद्दों’ को सूचीबद्ध किया है उनमें पारस्परिक संबंध, शिकायत करने की अधिक प्रवृत्ति, अधिकार की गलत भावना, सहानुभूति की कमी और ‘महत्वाकांक्षा की अधिकता या कमी’ है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई दिल्ली:

सेना की 108 महिला अधिकारियों को कर्नल के पद पर पदोन्नत करने के लिए एक विशेष चयन बोर्ड के गठन के डेढ़ साल से अधिक समय बाद एक शीर्ष जनरल ने पूर्वी कमान के सैन्य कमांडर को पत्र लिखकर एक सूची साझा की है जिसमें विभिन्न महिला कमांडिंग अधिकारियों (सीओ) से जुड़े कई मुद्दों का जिक्र है जिसमें ‘शिकायत करने की अधिक प्रवृत्ति' और ‘सहानुभूति की कमी' का जिक्र है.

रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि पत्र जनरल द्वारा साझा की गई प्रतिक्रिया (फीडबैक) था, लेकिन यह उनकी राय थी, ‘‘सेना की नहीं.'' भारतीय सेना ने कहा है कि वह लैंगिक भेदभाव से परे है. सेना में 13 लाख सैनिक हैं.

लेफ्टिनेंट जनरल राजीव पुरी ने एक अक्टूबर को पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राम चंदर तिवारी को यह पत्र लिखा. पुरी ने कुछ दिन पहले ही पानागढ़ स्थित 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर या ब्रह्मास्त्र कोर के कमांडर के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया.

पुरी ने आठ महिला कमांडिंग अधिकारियों (सीओ) के प्रदर्शन के आधार पर की गई ‘अंदरूनी समीक्षा‘ के निष्कर्षों का हवाला दिया. इसमें कहा गया है, ‘‘चूंकि इस यूनिट की कमान भारतीय सेना की सबसे महत्वपूर्ण कमान है और यह संगठन में उच्च रैंक तक प्रगति का रास्ता भी है, इसलिए यह जरूरी था कि महिला कमांडिंग अधिकारियों के संबंध में एक व्यावहारिक प्रदर्शन आधारित विश्लेषण किया जाए.''

इस बीच, रक्षा सूत्रों ने यह भी कहा कि सेना पुरुष या महिला अधिकारियों के बीच अंतर नहीं करती है. एक ऐतिहासिक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने 17 फरवरी, 2020 को सेना में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन का आदेश दिया था और केंद्र के उस रुख को ‘लैंगिक रूढ़िवादिता' पर आधारित बताकर खारिज कर दिया था जिसमें महिलाओं की ‘शारीरिक सीमा' का जिक्र था. अदालत ने केंद्र के रुख को ‘महिलाओं के खिलाफ लैंगिक भेदभाव' करार दिया था.

फरवरी 2023 में, 108 महिला अधिकारियों को चयन-ग्रेड कर्नल के पद पर पदोन्नत करने के लिए एक विशेष चयन बोर्ड का गठन किया गया था. शीर्ष जनरल के पत्र ने पहले ही हलचल मचा दी है और सोशल मीडिया पर कई लोगों ने आलोचनात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है. ‘पीटीआई-भाषा' ने पत्र की प्रति देखी है.

Advertisement

लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने मोटे तौर पर जिन ‘चिह्नित मुद्दों' को सूचीबद्ध किया है उनमें पारस्परिक संबंध, शिकायत करने की अधिक प्रवृत्ति, अधिकार की गलत भावना, सहानुभूति की कमी और ‘महत्वाकांक्षा की अधिकता या कमी' है.

जनरल ने लिखा, महिला सीओ द्वारा उनके अधिकार की ‘अवहेलना' के संबंध में शिकायतें नियमित रूप से प्राप्त होती हैं. पत्र में कहा गया है कि ये मुद्दे सामान्य समस्याओं के रूप से शुरू होते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में नियंत्रण से बाहर चले जाते हैं. इकाइयों की कमान संभालते समय ऐसे ‘सामान्य मामले' पुरुष समकक्षों द्वारा शायद ही कभी रिपोर्ट किए जाते हैं.

Advertisement

पारस्परिक संबंध के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के दौरान, ‘‘महिला अधिकारियों द्वारा संचालित इकाइयों में अधिकारी प्रबंधन से जुड़े मुद्दों की संख्या में वृद्धि हुई है.''

उन्होंने कई कथित घटनाओं का भी उल्लेख किया जैसे कि एक कनिष्ठ कर्मी को यूनिट में महिला सीओ के आने पर उनके वाहन का दरवाजा खोलने के लिए कहना और यह निर्देश देना कि एक अन्य व्यक्ति को सुबह छह बजे दूसरी महिला सीओ के घर का गेट खोलने के लिए भेजा जाए.

Advertisement
Featured Video Of The Day
SCO Meeting: शानदार SCO दौरे के बाद पीएम मोदी की भारत वापसी | PM Modi China Visit