'सेंगोल' अब दिल्ली में ही है... नए संसद भवन में होगी स्थापना...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृतकाल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में सेंगोल को अपनाने का निर्णय लिया. संसद का नया भवन उसी घटना का गवाह बनेगा, जब अधीनम् (मठ के महंत) उसी समारोह (1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल दिया गया था) को दोहराएंगे और PM नरेंद्र मोदी को सेंगोल प्रदान करेंगे.

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प्रयागराज (उत्तर प्रदेश):

नए संसद भवन के रविवार को होने जा रहे उद्घाटन से पहले इलाहाबाद संग्रहालय में रखे स्वर्णिम सेंगोल को राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित कर दिया गया है. अंग्रेज़ों से भारतीयों को सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक चिह्न 'सेंगोल' को नए संसद भवन में विरासत के तौर पर स्थापित किया जाएगा.

इलाहाबाद संग्रहालय के क्यूरेटर वामन वानखेड़े ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का पूरा संग्रह इलाहाबाद संग्रहालय में रखा गया है और ऐतिहासिक 'सेंगोल' को पिछले साल राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया गया था.

वामन वानखेड़े ने बताया, "इलाहाबाद संग्रहालय की आधारशिला भी भूतपूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी... उन्होंने इलाहाबाद संग्रहालय को 1,200 से अधिक वस्तुएं दान की थीं, और तब संग्रहालय के क्यूरेटर एस.सी. कला हुआ करते थे... पंडित नेहरू चाहते थे कि उनका पूरा संग्रह यहीं रखा जाए... सभी चीज़ों के साथ-साथ यह सोने की छड़ी भी संग्रह में रखी गई थी..."

उन्होंने बताया, "यह (सेंगोल) 162 सेंटीमीटर लंबी छड़ी है, जिस पर सोने की पॉलिश की गई है... इसे 4 नवंबर, 2022 को राष्ट्रीय संग्रहालय में स्थानांतरित कर दिया गया था..."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृतकाल के राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में सेंगोल को अपनाने का निर्णय लिया. संसद का नया भवन उसी घटना का गवाह बनेगा, जब अधीनम् (मठ के महंत) उसी समारोह (1947 में पंडित जवाहरलाल नेहरू को सेंगोल दिया गया था) को दोहराएंगे और PM नरेंद्र मोदी को सेंगोल प्रदान करेंगे.

वर्ष 1947 में बने उसी सेंगोल को प्रधानमंत्री द्वारा लोकसभा में स्थापित किया जाएगा, जो मुख्य रूप से अध्यक्ष के आसन के करीब है. इसे देश के देखने के लिए प्रदर्शित किया जाएगा और विशेष अवसरों पर निकाला जाएगा.

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