सेवानिवृत्ति के बाद सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच को वेतन नहीं दिया: कांग्रेस के दावे पर ICICI

कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधवी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के नए आरोप लगाते हुए सोमवार को दावा किया कि इस बाजार नियामक की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए भी वह आईसीआईसीआई बैंक से नियमित वेतन ले रही थीं और यह कुल राशि 16.80 करोड़ रुपये के करीब है.

Advertisement
Read Time: 4 mins
नई दिल्ली:

आईसीआईसीआई बैंक ने कांग्रेस के आरोपों पर कहा, सेबी प्रमुख माधवी पुरी बुच अक्टूबर, 2013 में ही बैंक से सेवानिवृत्त हो गई थीं, उसके बाद नहीं किया गया वेतन भुगतान.कांग्रेस ने आज पहले आरोप लगाया था कि सुश्री बुच, जो 2017 में सेबी के सदस्य के रूप में शामिल हुईं और बाद में इसकी अध्यक्ष बनीं, को वेतन और अन्य मुआवजे के रूप में आईसीआईसीआई बैंक से 16.8 करोड़ रुपये मिले थे.

"आईसीआईसीआई बैंक या इसकी समूह कंपनियों ने माधबी पुरी बुच को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद उनके सेवानिवृत्ति लाभों के अलावा कोई वेतन नहीं दिया है या कोई ईएसओपी नहीं दिया है. यह ध्यान दिया जा सकता है कि उन्होंने 31 अक्टूबर, 2013 से सेवानिवृत्ति का विकल्प चुना था." बैंक ने एक बयान में कहा.

कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधवी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के नए आरोप लगाते हुए सोमवार को दावा किया कि इस बाजार नियामक की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए भी वह आईसीआईसीआई बैंक से नियमित वेतन ले रही थीं और यह कुल राशि 16.80 करोड़ रुपये के करीब है.

यहां कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं और 2 मार्च, 2022 से इसकी अध्यक्ष हैं.

उन्होंने कहा, ‘‘माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए रेगुलर इनकम आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपए था. वह आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, ईएसओपी और ईएसओपी का टीडीएस भी बैंक से ले रही थीं.''

उन्होंने कहा, ‘‘यह सीधे-सीधे सेबी के सेक्शन-54 का उल्लंघन है. इसलिए अगर माधवी पुरी बुच में थोड़ी भी शर्म होगी तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.'' खेड़ा ने कहा कि यही नहीं, सेबी अध्यक्ष के हितों के टकराव के और भी कई मामले सामने आए हैं.

उन्होंने कहा कि 2021-2023 के बीच, वर्तमान सेबी अध्यक्ष को ईएसओपी पर टीडीएस भी प्राप्त हुआ था, जिसका भुगतान आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 1.10 करोड़ रुपये किया गया था. उन्होंने कहा कि टीडीएस की राशि वेतन के तहत ली जाती है और यह एक बार फिर सेबी की आचार संहिता का उल्लंघन है.

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘यह आयकर चोरी का मामला है क्योंकि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा ईएसओपी पर टीडीएस के रूप में भुगतान किया जाना एक शर्त है और इस पर भी कर लगाया जाना चाहिए. यह कर चोरी 50 लाख रुपये है.''

खेड़ा ने आरोप लगाया कि साल 2017-2024 के बीच, पूर्णकालिक सदस्य के रूप में और बाद में सेबी अध्यक्ष के रूप में, उन्हें आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से 22.41 लाख रुपये की आय भी मिली. उन्होंने कहा कि यह भी सेबी (कर्मचारी सेवा) नियमन, 2001 की धारा 54 का उल्लंघन है.

Advertisement

खेड़ा ने आरोप लगाया कि साल 2021-2023 के बीच, वर्तमान सेबी अध्यक्ष को आईसीआईसीआई बैंक से 2.84 करोड़ रुपये का ईएसओपी भी प्राप्त हुआ. खेड़ा ने आरोप लगाया और कहा कि यह आईसीआईसीआई कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना 2000 की धारा दस का उल्लंघन है.

ईएसओपी पूर्ण रूप से कर्मचारी स्टॉक स्वामित्व योजना है. यह अनिवार्य रूप से एक प्रकार की प्रोत्साहन या मुआवजा योजना है जिसमें व्यक्ति किसी भी संगठन के कर्मचारी के रूप में, एक निर्धारित अवधि में अपनी कंपनी से इक्विटी अर्जित करने का विकल्प रखते हैं.

Advertisement

उन्होंने कहा, ‘‘सेबी को भारतीय मध्यम वर्ग की कड़ी मेहनत की कमाई की सुरक्षा का काम सौंपा गया है, जो सुरक्षित भविष्य की आशा में निवेश करने के लिए कड़ी मेहनत से हर पैसा बचाता है. फिर भी, जब लोग सेबी पर अपनी उम्मीदें लगाते हैं, जिसके अध्यक्ष की नियुक्ति सीधे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है, तो ऐसा लगता है कि वे हमें हमेशा धोखा देते रहे हैं.''

कांग्रेस ने एक बयान में आरोप लगाया कि 2017 में सेबी में शामिल होने के समय से अब तक आईसीआईसीआई से सेबी अध्यक्ष को प्राप्त कुल राशि 16,80,22,143 रुपये है, जो इसी अवधि के दौरान सेबी से प्राप्त आय का 5.09 गुना अर्थात 3,30,28,246 रुपये है.

Advertisement

Featured Video Of The Day
One Nation One Election से कितना बदल जाएगा भारत का चुनाव? विधानसभाओं के बचे Term का क्या होगा?