SC/ST में नहीं हो सकता क्रीमी लेयर, समाज तोड़ने की हर कोशिश का विरोध: आरक्षण को लेकर बवाल पर चंद्रशेखर आजाद

चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, "शेड्यूल कास्ट में क्रीमी लेयर नहीं हो सकता. ऐसा कोशिश पहले भी हुई थी, जो नाकाम रही. सुप्रीम कोर्ट के एक भी जज ने शेड्यूल कास्ट की जिंदगी नहीं जी है. उनको पता नहीं है कि इस तबके की जिंदगी क्या होती है?"

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चंद्रशेखर आजाद नगीना (यूपी) से सांसद हैं.
नई दिल्ली:

अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति आरक्षण (SC-ST Reservation) में सब कैटेगराइजेशन करने और क्रीमीलेयर को लेकर राज्य सरकारों को दी गई सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर दलित-आदिवासी संगठन भड़के हुए हैं. उनका आंदोलन जारी है. बुधवार को इसे लेकर कुछ दलित संगठनों ने 14 घंटे के लिए 'भारत बंद' भी रखा था. दलित संगठनों की अपनी मांगे हैं. आरक्षण पर मचे बवाल के बीच NDTV ने आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना (यूपी) से सांसद चंद्रशेखर आजाद से खास बातचीत की. आजाद ने कहा, "शेड्यूल कास्ट में क्रीमी लेयर नहीं हो सकता. अगर क्रीमी लेयर की बात करके समाज को तोड़ने की कोशिश होगी, तो इसका विरोध तो होगा ही."

NDTV के साथ इंटरव्यू में चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, "कोर्ट के फैसले पर विरोध समाज के अंदर है. क्योंकि हम समाज का नेतृत्व कर रहे हैं. इसलिए उनकी भावना के साथ खड़े होना हर एक व्यक्ति की जिम्मेदारी है. भारत बंद हम लोगों ने कराया, क्योंकि समाज में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर गुस्सा था."

चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, "शेड्यूल कास्ट में क्रीमी लेयर नहीं हो सकता. ऐसा कोशिश पहले भी हुई थी, जो नाकाम रही. सुप्रीम कोर्ट के एक भी जज ने शेड्यूल कास्ट की जिंदगी नहीं जी है. उनको पता नहीं है कि इस तबके की जिंदगी क्या होती है?"  

दलित समाज के नहीं बदले हालात
चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "एक व्यक्ति को फोर्थ क्लास की जॉब मिली. सुप्रीम कोर्ट के जज ने जिस दिन टिप्पणी की, इससे उसके आर्थिक हालात कितने बदले? अगर जॉब नहीं मिलेगा, तो कहीं और कोशिश तो करेगा ही. मान लेते हैं कि जॉब नहीं मिली, तो अपना कोई बिजनेस शुरू कर सकता है. चाहे वह वाल्मीकि हो या चाहे पासी... अगर दुकान का बोर्ड लगा दिया तो कौन उससे सामान लेगा. क्योंकि देश में तो आज भी छुआछूत है."

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आजाद कहते हैं, "इस समाज के लोगों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता है. कहीं बैठ गए, तो कुर्सियां धोई जाती है. उन्हें तमाम तरह के अपमान का सामना करना पड़ता है. आज भी अगर मूंछे रखी तो पिटाई होती है. घोड़ी पर बैठकर शादी करने निकले, तो बारात रोक दी जाती है. अपमानित किया जाता है."

समाज को तोड़ने की कोशिश होगी, तो जरूर होगा विरोध
नगीना के सांसद कहते हैं, "ऐसे में आप क्लास की बात करके, क्रीमी लेयर की बात करके अगर समाज को तोड़ने की कोशिश करेंगे, तो जाहिर तौर पर इसका विरोध होगा ही. अभी हम लोगों ने एक भारत बंद किया है. अभी और बहुत कुछ करेंगे."

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लाठीचार्ज करने वालों से मांगेंगे जवाब
इस बीच चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "भारत बंद के दौरान प्रदर्शन कर रहे लोगों पर जिन्होंने लाठीचार्ज किया है, हम उनसे जवाब मांगेंगे. लोकतंत्र संख्या बल पर आधारित है, जिन अधिकारियों ने जानबूझकर हमारे लोगों पर लाठी चार्ज किया है, उन्हें जवाब देना होगा. जो अधिकारी जातिवादी या फिर पूंजीवादी मानसिकता से अनुसूचित जाति और जनजाति का मन से विरोधी है, हम ऐसे सरकार और अधिकारियों को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेंगे."

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सूद समेत करेंगे हिसाब 
आजाद ने बताया कि ये मामला उन्होंने संसदीय समिति की बैठक में भी उठाया है. उन्होंने कहा, "लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करना हमारा अधिकार है. आंदोलन को कुचलने के लिए जिस तरह से तमाम हथकंडे अपनाए गए, दलितों को पीटने का काम किया गया... उसका हम सूद समेत हिसाब करेंगे."

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चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, "मैं चाहता हूं किसी भी चीज की शुरुआत वहां से की जाए, जहां से यह शुरू हुआ. जाति व्यवस्था खत्म करके ऐसा किया जा सकता है. यहीं से आरक्षण खुद ही खत्म हो जाएगा." 

चंद्रशेखर आजाद कहते हैं, "सामान्य जाति के लोगों को आर्थिक आधार पर 10% आरक्षण दिया गया. यह आरक्षण बिना आंकड़े जुटाए दिए गए. अगर आप 10% इन जातियों को दे दोगे, तो क्या चल जाएगा."

11 सितंबर को दिल्ली में होगा महा आंदोलन 
आजाद ने कहा, "11 सितंबर को दिल्ली में हमारा एक महा आंदोलन होगा. उसके बाद भी अगर सरकार नहीं मानी, तो जब संसद का सत्र चलेगा तो हम फिर आंदोलन करेंगे. अब हम चुप बैठने वाले नहीं हैं. हमारी मांग है- सबसे पहले जातिगत जनगणना कराई जाए. उसके बाद जिसकी जितनी हिस्सेदारी हो, उसको उतना लाभ मिले. जिनका बैकलॉग नहीं भरा गया है, वह बैकलॉग भर जाए. निजी क्षेत्र में SC-ST को आरक्षण दिया जाए. सरकार जब तक कोई अध्यादेश नहीं लाती है, तब तक उनकी बातों पर यकीन नहीं करेंगे."

देश से नहीं खत्म हुआ जातिवाद
चंद्रशेखर आजाद ने सवाल किया, "क्या देश से जातिवाद खत्म हो गया है. नहीं... ये आज भी है और रहेगा. सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट में हमारे समाज से कितने जज है? हमें आरक्षण जितना मिला है, वह आजतक पूरा ही नहीं हुआ है."

सरकारी स्कूलों में पढ़ें अधिकारियों के बच्चे
चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "मेरा तो कहना है कि प्रधानमंत्री से लेकर आधिकारी तक के बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ना चाहिए. तभी गरीबों के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था होगी. ऐसे ही सरकारी अस्पताल में ही सब का इलाज हो. हम तो बदलाव के लिए संघर्ष कर रहे हैं."

चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "अगर कोई आरक्षण को छूने का प्रयास करेगा, तो देश में भूचाल आएगा. उसका सामना बीजेपी के लोग नही कर पाएंगे. अगर चोर दरवाजे से आरक्षण को खत्म करने का प्रयास किया या वंचित वर्गों को बंटवारा करने का प्रयास किया गया, तो आंदोलन होगा."

मुस्लिमों को भी मिले आरक्षण
चंद्रशेखर आजाद ने इसके साथ ही मुस्लिम समाज के लिए भी आरक्षण की वकालत की. उन्होंने कहा, "मैं चाहता हूं कि मुसलमानों को भी संख्या के आधार पर आरक्षण मिले. EWS का कॉन्सेप्ट गैर-संवैधानिक है. हम जो कमाते हैं उसे लूट लिया जाता है. हमारे लोगों को पीटा जाता है. हमारे लोगों को पेशाब पिलाया जाता है. हमारे लोगों को मंदिर में घुसने की इजाजत नहीं मिली है. हमारे बच्चों का 70 फीसदी ड्राप आउट है, क्योंकि वहां बहुत ज्यादा भेदभाव होता है."

आजाद कहते हैं, "देश में जातिगत संख्या के आधार पर 100 फीसदी आरक्षण होना चाहिए. तब जाकर लाभ पहुंचेगा. SC-CT को प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण मिलना चाहिए. हर जगह सवर्णों का ही बोलबाला है." 

चंद्रशेखर आजाद ने कहा, "समाज में जो जातिवाद और गैर बराबरी की खाई है, उसको भरने के लिए काम करने की जरूरत है. जब हमारी समस्याओं के लिए कोई मैदान में नहीं आ रहा है, कोई आवाज नहीं उठा रहा है... तो हमें हमारी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी."

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