देशभर में विभिन्न ट्रिब्यूनलों में नियुक्तियां करने के लिए SC ने केंद्र को दिया 10 दिन का वक्त

देशभर के विभिन्न ट्रिब्यूनलों में नियुक्तियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई हुए केंद्र सरकार को इसके लिए 10 दिन का वक्त दिया है.

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देशभर के विभिन्न ट्रिब्यूनलों में नियुक्तियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई हुए केंद्र सरकार को इसके लिए 10 दिन का वक्त दिया है.इससे पहले विभिन्न ट्रिब्यूनलों (Tribunals)में सदस्यों की नियुक्ति में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने 8 अगस्‍त को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार (Central government) को फटकार लगाई थी. SC ने कहा था कि  यह दुखद स्थिति है. इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि क्या वह सभी ट्रिब्यूनलों को बंद करना चाहता है? बार- बार अदालत ने आदेश दिए हैं लेकिन कुछ नहीं हुआ.इससे ऐसा लगता है कि कार्यपालिका सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करना चाहती. अदालत ने विभिन्न न्यायाधिकरणों में सदस्यों की नियुक्ति को लेकर केंद्र से जवाब तलब किया था. सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न न्यायाधिकरणों में रिक्तियों को न भरने की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्‍पणी की थी.

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सभी ट्रिब्यूनलों में भारी रिक्तियों से चिंतित, शीर्ष अदालत ने केंद्र से कहा था, ऐसा लगता है कि आप सभी ट्रिब्यूनलों को बंद करना चाहते हैं. मुख्‍य न्‍यायाधीश (CJI) ने कहा था कि 10 दिनों के भीतर कोर्ट को सूचित करें कि आप ट्रिब्यूनल को जारी रखना चाहते हैं या बंद करना चाहते हैं या फिर हम अधिकारियों को बुलाएंगे. 4 साल पहले CGST लागू हुआ, लेकिन विवादों पर फैसला लेने के लिए अभी तक कोई अपीलीय निकाय नहीं है. सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों को पढ़ते हुए CJI ने कहा था, 'देशभर में 20 पीठासीन अधिकारी और 101 न्यायिक सदस्य पद खाली है.हम नहीं जानते कि आपका क्या रुख है.आप (केंद्र) ट्रिब्यूनल के साथ जारी रखना चाहते हैं या इसे बंद करना चाहते हैं. हम जो समझते हैं वह यह है कि सरकार ट्रिब्यूनल नहीं चाहती है. हमें कुछ संदेह है कि कुछ लॉबी रिक्तियों को न भरने के लिए काम कर रही हैं. कोर्ट ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल से कहा  कि यदि आप ट्रिब्यूनल नहीं चाहते हैं तो आप लोगों को उपचारहीन नहीं रख सकते. यदि आप ट्रिब्यूनल नहीं चाहते हैं तो उन्हें हाईकोर्ट में जाने दें.

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CJI ने कहा था, 'हम उम्मीद करते हैं कि आप एक सप्ताह के भीतर तय करें. हमें रिपोर्ट करें क्योंकि हम गंभीर हैं. हम आपके अधिकारियों को पेश होने और समझाने के लिए मजबूर करेंगे. ऐसी स्थिति न बनाएं. अदालत ने केंद्र से कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा जजों ने विभिन्न ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश की है लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से कहा था कि वह इसे सरकार को बताएंगे और 10 दिनों में वापस बताएंगे. 

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